
कुसहा त्रासदी होगा मुद्दा: वर्ष 2008 में आए कुसहा त्रासदी इस विधानसभा में प्रमुख मुद्दा बताया जा रहा है.इस त्रासदी में सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका छातापुर ही रहा था.जहां की जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किये गये.लेकिन बाढ राहत घोटाले के नाम से मशहूर यह इलाका आज भी पिछडापन का

महागठबंधन से चुनाव के मैदान में कई नामों की है चर्चा: कहा जाता है कि वर्तमान परिवेश में दो तरह की जनता होते हैं. उसी में एक अभिजात कुनबा होते हैं. अभिजात कुनबा में या तो पृष्ठभूमि चाहिए नहीं तो उसमें शामिल होने के लिए विद्रोही बनना पडता है. इन बातों की पुष्टि के लिए महाभारत का प्रसंग लिया जाता सकता है, जिसमें एकलव्य का अंगुली काटना और कर्ण के साथ छल करना. ऐसा आज की राजनीति में प्रत्यक्ष उदाहरण है. जिसको परिवारवाद से संबोधित किया जा सकता है.लेकिन इस विधानसभा में किसी के भीष्म पितामह नहीं होना सामने आता नजर आ रहा है. महागठबंधन ने यह सीट राजद को दिया है.जहां उम्मीदवारी को लेकर पूर्व विधायक उदय गोईत,यदुवंश कुमार यादव,अकील अहमद खां और छाया रानी की चर्चा हो रही है.
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बनाई थी बढत: 2014 के लोकसभा में यह विधानसभा ने भाजपा को बढत दिलायी थी. हालाकि सुपौल लोकसभा का प्रतिनिधित्व कांग्रेस की रंजीता रंजन कर रही है. ऐसी स्थिति में भाजपा इस सीट को अपने पक्ष में रखा है. लोकसभा चुनाव में बढत दिये जाने के बाद इस क्षेत्र के भाजपाई का हौसला बुलंद है तो महागठबंधन भी बदले समीकरण का मौका भुनाने की हर कोशिश हरसंभव करेगी. इस विधानसभा में सबसे ज्यादा वेश्य का वोट है तो माय समीकरण कितना रंग लाती है यह वक्त बतायेगा.
इस विधानसभा में छातापुर प्रखंड के 23 पंचायत,बसंतपुर के 14 पंचायत और एक नगर पंचायत वीरपुर शामिल है. स्थानीय मुद्दा यहां का प्रमुख मुद्दा माना जाता है.
फिर सुर्ख़ियों में सुपौल का छातापुर विधानसभा क्षेत्र: नीरज बबलू को भाजपा से टिकट
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 20, 2015
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