फिर सुर्ख़ियों में सुपौल का छातापुर विधानसभा क्षेत्र: नीरज बबलू को भाजपा से टिकट

सुपौल-इन दिनों चुनाव के मौसम में जिले के पांच विधानसभा क्षेत्र में छातापुर विधानसभा क्षेत्र का पारा काफी गर्म है. क्षेत्र की जनता का मिजाज भी बदला-बदला सा नजर आ रहा है. परिसीमन के बाद वर्ष 2010 में बना यह विधानसभा इसलिए भी सुर्खियों में है कि वहां से 2010 में एनडीए के संयुक्त उम्मीदवार नीरज कुमार सिंह उर्फ बबलू सिंह राजद के अकील अमहद खां को हराकर जदयू के विधायक बने थे .लेकिन इसी वर्ष हुए राज्यसभा के चुनाव में बबलू की पार्टी से बगावत सुर्खियां में रही. उसी समय से बबलू जदयू के बागी विधायक के नाम से जाना जाने लगा. इधर बबलू ने भाजपा का दामन थाम लिया है. भाजपा ने उनपर भरोसा जताते बबलू को छातापुर से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. हालांकि उनके उम्मीदवार बनाने से पार्टी के भीतर विरोध का स्वर भी अंदर ही अंदर उठने लगा है. लेकिन स्थानीय निकाय के विधान पार्षद चुनाव में उनकी पत्नी नूतन सिंह कोसी प्रमंडल से महागठबंधन के उम्मीदवार मो इसराइल राईन को हराकर लोजपा से विधान पार्षद बनी है, जिससे कोसी में उनके राजनीति का उदय माना जाता है.अंतिम चरण में इस विधानसभा में होने वाले चुनाव में एनडीए ने श्री बबलू पर अपना भरोसा जताया है. 

कुसहा त्रासदी होगा मुद्दा: वर्ष 2008 में आए कुसहा त्रासदी इस विधानसभा में प्रमुख मुद्दा बताया जा रहा है.इस त्रासदी में सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका छातापुर ही रहा था.जहां की जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किये गये.लेकिन बाढ राहत घोटाले के नाम से मशहूर यह इलाका आज भी पिछडापन का शिकार है.कई गांवों मे ध्वस्त हुए पुल-पुलिया,सडक का निर्माण आज भी अधूरा पड़ा है तो कोसी पुर्नवास की स्थिति भी संतोषजनक नहीं मानी जा सकती है. वहीं आज भी इस इलाके के कई गांव बिजली से वंजित है.हालांकि छातापुर मुख्यालय में पावर ग्रिड का निर्माण इसी वर्ष के अप्रैल माह में हुआ है.

महागठबंधन से चुनाव के मैदान में कई नामों की है चर्चा: कहा जाता है कि वर्तमान परिवेश में दो तरह की जनता होते हैं. उसी में एक अभिजात कुनबा होते हैं. अभिजात कुनबा में या तो पृष्ठभूमि चाहिए नहीं तो उसमें शामिल होने के लिए विद्रोही बनना पडता है. इन बातों की पुष्टि के लिए महाभारत का प्रसंग लिया जाता सकता है, जिसमें एकलव्य का अंगुली काटना और कर्ण के साथ छल करना. ऐसा आज की राजनीति में प्रत्यक्ष उदाहरण है. जिसको परिवारवाद से संबोधित किया जा सकता है.लेकिन इस विधानसभा में किसी के भीष्म पितामह नहीं होना सामने आता नजर आ रहा है. महागठबंधन ने यह सीट राजद को दिया है.जहां उम्मीदवारी को लेकर पूर्व विधायक उदय गोईत,यदुवंश कुमार यादव,अकील अहमद खां और छाया रानी की चर्चा हो रही है.

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बनाई थी बढत: 2014 के लोकसभा में यह विधानसभा ने भाजपा को बढत दिलायी थी. हालाकि सुपौल लोकसभा का प्रतिनिधित्व कांग्रेस की रंजीता रंजन कर रही है. ऐसी स्थिति में भाजपा इस सीट को अपने पक्ष में रखा है. लोकसभा चुनाव में बढत दिये जाने के बाद इस क्षेत्र के भाजपाई का हौसला बुलंद है तो महागठबंधन भी बदले समीकरण का मौका भुनाने की हर कोशिश हरसंभव करेगी. इस विधानसभा में सबसे ज्यादा वेश्य का वोट है तो माय समीकरण कितना रंग लाती है यह वक्त बतायेगा.
                इस विधानसभा में छातापुर प्रखंड के 23 पंचायत,बसंतपुर के 14 पंचायत और एक नगर पंचायत वीरपुर शामिल है. स्थानीय मुद्दा यहां का प्रमुख मुद्दा माना जाता है.
फिर सुर्ख़ियों में सुपौल का छातापुर विधानसभा क्षेत्र: नीरज बबलू को भाजपा से टिकट फिर सुर्ख़ियों में सुपौल का छातापुर विधानसभा क्षेत्र: नीरज बबलू को भाजपा से टिकट Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 20, 2015 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.