‘कोना के टूटलै लालू कुसहा के बाँध, कोना उजडलै नीतीश मुल्के-जहान, ई सब कोना भेलै सोनिया गे?”: सुनें ग्रामीण गायक का दर्द
2008 की उस भयावह बाढ़ को लोग भुलाना तो चाहते हैं पर ये 18 अगस्त का दिन जब हर साल आता है तो फिर उस तांडव को भूलना कोसी के लोगों के लिए नामुमकिन हो जाता है.
मधेपुरा में सातवीं बरसी पर आयोजित कार्यक्रम ‘जन संसद’ का मुख्य आकर्षण एक व्यक्ति तब बन गया जब उसने उन लम्हों को लय में तब्दील कर दिया. देहाती सा दिखने वाले इस सख्स ने माइक पकड़ा और फ़िल्मी गानों की तर्ज पर कुसहा की त्रासदी को इस जबरदस्त ढंग से उपस्थित लोगों के सामने रखा कि सभी हैरत में पड़ गए. गायक धर्मेन्द्र कुमार वर्मा मधेपुरा जिले के कुमारखंड थानाक्षेत्र के पुरैनी गाँव के रहने वाले हैं और इन्होने कुसहा की त्रासदी को बड़े ही करीब से न सिर्फ देखा है बल्कि महसूस भी किया है.
आप भी सुनें धर्मेन्द्र कुमार वर्मा के गाने, यहाँ क्लिक करें.
(नि० सं०)
मधेपुरा में सातवीं बरसी पर आयोजित कार्यक्रम ‘जन संसद’ का मुख्य आकर्षण एक व्यक्ति तब बन गया जब उसने उन लम्हों को लय में तब्दील कर दिया. देहाती सा दिखने वाले इस सख्स ने माइक पकड़ा और फ़िल्मी गानों की तर्ज पर कुसहा की त्रासदी को इस जबरदस्त ढंग से उपस्थित लोगों के सामने रखा कि सभी हैरत में पड़ गए. गायक धर्मेन्द्र कुमार वर्मा मधेपुरा जिले के कुमारखंड थानाक्षेत्र के पुरैनी गाँव के रहने वाले हैं और इन्होने कुसहा की त्रासदी को बड़े ही करीब से न सिर्फ देखा है बल्कि महसूस भी किया है.
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‘कोना के टूटलै लालू कुसहा के बाँध, कोना उजडलै नीतीश मुल्के-जहान, ई सब कोना भेलै सोनिया गे?”: सुनें ग्रामीण गायक का दर्द
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 20, 2015
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