‘घो-घो रानी, कितना पानी?’: पानी ऐसा जिसने ली हजारों जिंदगियां: नाटक के मंचन ने कर दी त्रासदी की याद ताजा

18 अगस्त 2008. कोसी के लोग इस दिन को कभी नहीं भूल सकेंगे. इसी दिन कोसी मईया बौराई थी तो हजारों को मौत मिली थी और लाखों बेघर हो गए थे. उसके बाद तो जब भी 18 अगस्त की तारीख आती है, बीरपुर, मुरलीगंज, मधेपुरा समेत पूरे इलाके के लोगों की रूह एक दफे काँप उठती है.
    इस बार मधेपुरा की नाट्य संस्था संवदिया के कलाकारों ने इसी दिन ‘घो-घो रानी कितना पानी’ नाटक का मधेपुरा में जब मंचन किया तो एक बार फिर दर्शक बहुत कुछ सोचने को मजबूर हो गए. लेखक आलोक कुमार तथा प्रतिष्ठित मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के छात्र शहंशाह के निर्देशन में जहाँ कलाकारों के द्वारा जयपालपट्टी चौक, मधेपुरा कॉलेज आदि जगहों पर बड़ी भीड़ के सामने नाटक का सफल मंचन किया वहीं शाम में रंगकर्मियों व साहित्यकारों ने भूपेन्द्र चौक पर 2008 में बाढ़ में मारे गए लोगों के आत्मा की शान्ति के लिए मोमबत्ती जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
    कार्यक्रम के संयोजक जहाँ अमल कुमार सिंह थे वहीँ कलाकार अमित अंशु, सोनल, आशिफ, शुभम, रवि, आनंद, इमरान, कार्तिक, शंकर मो० साहेब आदि की भूमिका सराहनीय रही. मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में डॉ० श्यामल किशोर, डॉ० आलोक कुमार, डॉ० सिद्धेश्वर कश्यप, चिरामणि यादव, ध्यानी यादव, सुकेश राणा आदि मौजूद थे.  (नि.सं.)
‘घो-घो रानी, कितना पानी?’: पानी ऐसा जिसने ली हजारों जिंदगियां: नाटक के मंचन ने कर दी त्रासदी की याद ताजा ‘घो-घो रानी, कितना पानी?’: पानी ऐसा जिसने ली हजारों जिंदगियां: नाटक के मंचन ने कर दी त्रासदी की याद ताजा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 20, 2015 Rating: 5

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