आपने बिहार के सैकड़ो सरकारी स्कूल देखे
होंगे और शिक्षा पर सूबे के मुखिया नीतीश कुमार के बड़े-बड़े दावे भी सुने होंगे पर
आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं एक ऐसा स्कूल जो सभी सरकारी दावों की पोल खोल देता
है. ये शिक्षा में ऐतिहासिक उपलब्धियों वाले बिहार का ऐसा सच है जिसके बारे में
आपने सपने में भी नहीं सोचा होगा.
मधेपुरा में है एक
ऐसा अजूबा सरकारी विद्यालय, जहाँ स्थापना काल से आज तक नहीं है एक भी शिक्षक. बिना
गुरु के हीं बच्चों को मिल रहा है किसी तरह स्कूली ज्ञान. विभागीय अधिकारी से लेकर
जिलाधिकारी दो वर्षों से विद्यालय में शिक्षक नियुक्त करने का सिर्फ भरोसा ही दे
रहे हैं. मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड क्षेत्र के जीतापुर उत्क्रमित उच्च बिना
शिक्षक के स्कूल की तो एक बानगी भर है पर एक अनुमान है कि जिले में 20 से ज्यादा
ऐसे उत्क्रमित उच्च विद्यालय हैं जिन्हें आज भी अपने गुरुजी के आने का इन्तजार है.
मतलब साफ़ है कि इस इलाके में स्कूली शिक्षा एक मजाक बनकर रह गया है. यहाँ सरकार और
प्रशासन बच्चों के भविष्य की बलि देने की पूरी तैयारी कर ली है.
जहाँ जिले के अधिकाँश सरकारी स्कूलों
में बुनियादी व्यवस्था भी नहीं है वहीँ इस उत्क्रमित उच्च विद्यालय की सबसे हास्यापद
बात तो ये है कि मध्य विद्यालय के गुरु जी अपने छात्रों की पढाई ख़राब कर इस उच्च विद्यालय
के बच्चों पढ़ाने में मदद का मजाक कर रहे हैं. विद्यालय के छात्र गौरव कुमार, छात्रा
नशीबन कुमारी, सोनम कुमारी, बेबी कुमारी सहित दर्जनों छात्र कहते हैं कि उन्हें भी
पता नहीं है कि उनका भविष्य क्या होगा?
बिना
शिक्षक के स्कूल पर मधेपुरा के प्रभारी डीएम अबरार अहमद कहते हैं कि हमारी जानकारी
में नहीं है कि कोई ऐसा उत्क्रमित विद्यालय है जहाँ शिक्षक नहीं है, हाँ, कई जगह शिक्षक
की कमी जरूर हो सकती है, बीईओ से बात कर हम उसकी समीक्षा हम कर लेते हैं.
अजूबा ! स्थापना काल से ही मधेपुरा के इस स्कूल में नहीं हैं एक भी शिक्षक
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 03, 2015
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