“न रस्ता मालूम न
तेरा
नाम-पता मालूम
कैसे मेरे प्यार ने तुझको
ढूँढा क्या मालूम
सीधी तेरे पास मैं अँखियाँ
मीचे-मीचे आ गई
सात समुंदर पार मैं तेरे
पीछे पीछे आ गई”
नाम-पता मालूम
कैसे मेरे प्यार ने तुझको
ढूँढा क्या मालूम
सीधी तेरे पास मैं अँखियाँ
मीचे-मीचे आ गई
सात समुंदर पार मैं तेरे
पीछे पीछे आ गई”
1992
में बनी हिन्दी फिल्म ‘विश्वात्मा’ के इस गाने की तर्ज पर दिल्ली की नीतू यादव तब मधेपुरा
जिले के मुरलीगंज पहुँच गई जब उसे पता चला कि उसके प्रेमी राजीव यादव की शादी यहाँ
उसके अभिभावक की मर्जी से लग गई है. बताया गया कि उत्तरी चौबीस परगना (पश्चिमी बंगाल)
की मूल निवासी नीतू अपने माँ और भाई को लेकर जब यहाँ पहुंची तो राजीव के परिवार
वाले और ग्रामीण सन्न रह गए. नीतू का दावा था कि राजीव ने दिल्ली में उसके साथ
शादी रचा ली थी और अभी दो महीने पहले गाँव आने के समय जल्द लौटने का वादा भी किया था. जबकि राजीव का कहना था कि दिल्ली में जहाँ वह काम करता है वहां
पड़ोस में रहने वाली नीतू झूठ बोल रही थी.
मधेपुरा जिला मुख्यालय
में सुलझाए जा रहे मामले के अंत में परिजनों और ग्रामीणों के दवाब तथा अधिवक्ता की
सलाह पर दोनों दिल्ली वहां जाकर अपने-अपने दावे को सही ठहराने के लिए जाने को
तैयार हो गए जिसकी कंपनी में राजीव काम करता था.
प्रेमी की किसी और से शादी की खबर पाते ही दिल्ली से प्रेमिका पहुंची मुरलीगंज
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 17, 2015
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