मधेपुरा जिले का चौसा प्रखंड मुख्यालय. मधेपुरा जिला
मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर है पर ये विकास से हजारों किलोमीटर है दूर. धन्य
हैं यहाँ की जनता जो इतनी शांत है, वर्ना यहाँ कभी भी कुछ हो सकता था.
मधेपुरा
जिले को यदि विकासशील कहा जाय तो चौसा का पीएचसी धब्बा है यहाँ के विकास पर. और ये
धब्बा यहाँ पदस्थापित डॉक्टरों के द्वारा लगाया जा रहा है. चौसा प्राथमिक
स्वास्थ्य केन्द्र में मरीजों को मौतें मिलती रही हैं. नदारद रहते हैं डॉक्टर और
स्वास्थ्यकर्मी तो जिंदगी कहाँ से मिलेगी.
अस्पताल
का रजिस्टर यहाँ कुल साथ चिकित्सकों के पदस्थापन की बात कहता है जिनमे दो आयुष
चिकित्सक डॉ. बी.जी. शर्मा और डॉ. राकेश कुमार हैं और बाकी पांच सुयोग्य एलोपैथिक.
इनके नाम हैं, डॉ. वी. के. प्रसाद, डॉ. यू. एन. दिवाकर, डॉ. राजेश यादव, डॉ. राजेश
रंजन (बीडीएस) और डॉ. एल. के. लक्ष्मण. रजिस्टर बताते हैं कि डॉ. वी. के. प्रसाद,
डॉ. यू. एन. दिवाकर और डॉ. राजेश रंजन (बीडीएस) तो लगातार अस्पताल आते हैं, पर डॉ.
राजेश यादव अक्सर गायब रहते हैं और सबसे शर्मनाक स्थिति डॉ. एल. के. लक्ष्मण की है
जिन्होंने महीनों से चौसा पीएचसी में अपने चरण नहीं रखे हैं. यहां के लोगों का
कहना है कि डॉ. राजेश यादव भी गायब ही रहते हैं और आकर खाली छूटे रजिस्टर पर हाजरी
बना लेते हैं. बताया गया कि पिछले 27 अप्रैल को अपनी शादी के दिन भी उन्होंने न
रहते हुए हाजरी मैनेज कर लिया.
लोगों
ने बताया कि डॉ. एल. के. लक्ष्मण जिला मुख्यालय में रहकर ताबड़तोड़ निजी प्रैक्टिश
करते हैं और उनपर बड़े लोगों का ‘आशीर्वाद’ बना हुआ है. ऐसे में ऐसे ही चलता रहेगा. जबकि डॉक्टर
लक्ष्मण शिशु रोग विशेषज्ञ हैं और चौसा जैसे पिछड़े इलाके में इनकी जरूरत है. शायद
ऐसे ही डॉक्टरों की वजह से मधेपुरा में स्वास्थ्य सेवा का स्थान काफी पिछड़ गया है.
अस्पताल में कभी-कभी एक भी डॉक्टर उपस्थित नहीं रहते हैं और वैसे भी यहाँ इलाज
नहीं होता है, अधिकाँश मामलों में रोगी यहाँ से तुरंत रेफर कर दिया जाता है.
जाहिर
है, जिले को सुधरने में अभी लंबा वक्त लगेगा और लोगों को जिम्मेवारी समझाने से
पहले अधिकारियों को अपनी जिम्मेवारी समझनी होगी.
चौसा अस्पताल को डॉक्टरों ने बनाया मजाक: और डॉ. लक्ष्मण हद कर दी आपने
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 19, 2015
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June 19, 2015
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