मधेपुरा जिले के चौसा थानाक्षेत्र के अरजपुर के
खेतों में उत्पात मचाने के बाद जहाँ आज सुबह से दोनों हाथियों का पता नहीं चल पा रहा
था, वहीँ दिन में दोनों हाथियों के फुलौत के क्षेत्र में दिखने के बाद दहशत का
वातावरण कायम है.
उधर आज
वन विभाग के राज्यस्तरीय अधिकारियों का जमावड़ा चौसा व फुलौत के इलाके में हो चुका
है. बिहार के वन्य प्राणी पशु पालन विभाग के मुख्य पदाधिकारी एस.एस. चौधरी, टीम के
सदस्य क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षण पदाधिकारी ए. के. पाण्डेय, भागलपुर के वन
संरक्षक संजय सिंह, पूर्णियां के वन संरक्षक वी. एन. प्रसाद के अलावे कई अन्य वन
पदाधिकारी तथा कर्मियों ने दोनों हाथियों को पकड़ने की रणनीति तैयार कर ली है.
मुख्य
पदाधिकारी एस.एस. चौधरी ने मधेपुरा टाइम्स को बताया कि किसी भी सूरत में हाथियों
को जिन्दा और सुरक्षित पकड़ना है. इलाके के लोगों और लड़कों के द्वारा हाथियों पर
ईंट-पत्थर मारने पर वे उग्र हो सकते हैं. आज लाउडस्पीकर से घोषणा करा दी गई है कि
हाथियों से कम से कम दो सौ मीटर दूर रहें अन्यथा स्थिति बिगड़ने पर वे स्वयं
जिम्मेवार होंगे.
दूसरी
तरफ एरावत संस्थान पटना से संचालक पदाधिकारी अख्तर इमाम के नेतृत्व में एक और
एक्सपर्ट हाथी को भी इस काम में सहयोग के लिए लाया गया है. इसके अलावे कल एक और
टीम हाथी नियंत्रण संस्थान बांकुरा से पहुँच जायेगी. मिली जानकारी के अनुसार कल
घायल महिला का पूर्णियां में पैर काटने के अलावे कोई रास्ता नहीं बचा.
कहाँ से आए हाथी?: पदाधिकारियों का
अंदाजा है कि ये हाथी झारखंड से साहबगंज होते नदी मार्ग से कुरसैला के रास्ते यहाँ
पहुंचे होंगें. इसके अलावे एक अद्भुत जानकारी दी गई कि हाथियों की सामान्य गति
15-30 किमी/घंटा पर छेड़े जाने पर 60 किमी/घंटा तक हो सकती है जो बेहद खतरनाक
स्थिति है.
जो भी
है, अब कल का दिन इन हाथियों को गिरफ्त में लेने के लिए अहम हो सकता है.
जंगली हाथियों ने बदला इलाका: पटना की टीम पहुंची, कहा नदी मार्ग से आए हाथी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 14, 2015
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