‘जो
डलहौज़ी न कर पाया
वो ये हुक़्क़ाम कर देंगे
कमीशन दो तो
कमीशन दो तो
हिन्दोस्तान को नीलाम कर देंगे,
ये बन्दे-मातरम का गीत
ये बन्दे-मातरम का गीत
गाते हैं सुबह उठकर
मगर बाज़ार में चीज़ों का
मगर बाज़ार में चीज़ों का
दुगुना दाम कर देंगे,
सदन में घूस देकर
सदन में घूस देकर
बच गई कुर्सी तो देखोगे
वो अगली योजना में
वो अगली योजना में
घूसखोरी आम कर देंगे.’
अदम गोंडवी की लिखी ये पंक्तियाँ मधेपुरा के
एक विवादित मामले पर कितना फिट बैठती है इसे तय कर पाना अब शायद ही मुमकिन है, पर जिले
भर में हो रहे राहत राशि के लिए सड़क जाम तथा प्रदर्शन जहाँ प्रशासन समेत आम लोगों
के लिए सरदर्द पैदा कर रहे हैं वहीँ मधेपुरा जिले के पुरैनी प्रखंड क्षेत्र में एक
आपदा से कथित मौत पर चार लाख रूपये की राहत राशि देने पर विवाद उत्पन्न हो गया है.
मिली
जानकारी के अनुसार बीते 21 अप्रैल की रात में
आये भीषण तूफ़ान में जहाँ प्रखंड क्षेत्र से किसी प्रकार के हताहत व तूफ़ान के कारण किसी
की मौत होने की सूचना न तो 22 अप्रैल की देर संध्या तक प्रखंड के पदाधिकारियों को और न ही मीडियाकर्मियों को
ही मिली, वहीं कुरसंडी पंचायत के बालाटोल निवासी सुनीता देवी को मंगलवार को पुरैनी
सीओ द्वारा मानव क्षति के मुआवजा के तहत 4 लाख की चेक राशि प्रदान की गई. मुआवजा की राशि मिलने के बाद
ग्रामीण दबी जुबां से ही सही लेकिन कह रहे हैं कि लाभुक के ससुर की मौत सामान्य मृत्यु
से हुई है वज्रपात से नहीं, क्योंकि गाँव में वज्रपात हुआ ही नहीं था.
क्यों
सवालों के घेरे में आ गया पूरा मामला?: अचानक 23 अप्रैल की
दोपहर में बालाटोल के 62 वर्षीय महंथी यादव जिनका घर स्थानीय विधायक सह मंत्री नरेन्द्र
नारायण यादव के घर के पास ही है की मृत्यु
की सूचना यह कहकर दी जाती है कि उनकी मृत्यु 21 अप्रैल की रात्रि में आए भीषण तूफ़ान के दौरान आये वज्रपात के वजह से
हो गई. विवाद इस बात को लेकर भी है कि जब अंचलाधिकारी द्वारा 21 व 22 अप्रैल को अंचल
क्षेत्र से आपदा में हुए मानव क्षति की रिपोर्ट शून्य भेजी गई है तो मौत पर सरकार द्वारा घोषित 4 लाख रूपये जैसी बड़ी मुआवजा राशि के लिए तो यह नहीं किया
गया है? कुछ ग्रामीण भी दबी जुबान यह कह रहे है की उक्त वृद्ध महंथी यादव की मृत्यु
22 अप्रैल की सुबह लगभग साढे सात बजे चापाकल पर पानी लेने के दौरान गिरने की वजह से
हुई है. इतना होने के बावजूद मृतक की पुतोहू सुनीता
देवी को सीओ सैययद जफरूल हौदा ने चेक भी दे डाला जिसका आधार उन्होंने सिर्फ पोस्टमार्टम
रिपोर्ट बनाया.
अधिकारियों
का कहना है कि मृतक की मौत 21 की रात्रि में ही होती है जिसकी सूचना प्रखंड के पदाधिकारियों
को 23 अप्रैल को दी जाती है और तब
तक सीओ और बीडीओ द्वारा प्रखंड से भी मानव क्षति का आंकड़ा शून्य दिया जाता है. विवादित
लाभ उठाने वाले मृतक के परिजनों द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि मौत के बाद मृतक के
पुत्र मक्खन यादव के पंजाब से आने के इंतजार में पुलिस और पदाधिकारियों को सूचना नहीं
दी गई थी.
पोस्टमार्टम
रिपोर्ट के आधार पर दिए गए मुआवजा पर लोग हैरत में: सीओ
सैययद जफरूल हौदा एवं बीडीओ राजीव कुमार को जब 23 अप्रैल को वज्रपात से मौत होने की सूचना मिली थी तो
उन्होंने दैनिक रिपोर्ट में स्टार लगाकार यह लिख दिया था कि मौत का कारण अस्पष्ट है
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर हीं कारण स्पष्ट हो पाएगा. और जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट
में महंथी यादव की मौत का कारण ठनका से होना बताया गया तो गाँव के कई लोग दंग रह गए.
बालाटोल के ग्रामीणों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि
दबी जुबां से हीं सही लेकिन कह रहे हैं कि बालाटोल में 21 की रात्रि को किसी तरह का
ठनका गिरा ही नहीं था.
स्थानीय कई जनप्रतिनिधि और पदाधिकारियों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि मौत
सामान्य हुई थी लेकिन बाद में काफी विचार और मंत्रणा के बाद सरकारी घोषणाओं को देखते
हुए उँचे पहुँच का फायदा उठाते हुए गलत तरीके से सरकारी लाभ दिलाने की पुख्ता योजना
बनायी गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण वज्रपात कैसे और किसके दबाव में लिखा गया
यह भी सवालों के घेरे में आ गया है.(नि० सं०)
4 लाख की घोषणा होते ही मधेपुरा में मरने लगे लोग: विवादित हुई एक मौत पर राहत
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 03, 2015
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