शनि महाराज का कोप क्या हुआ, पूरा कोसी मानो तीन
दिनों से रतजगा कर बैठा हो. नींद आये भी तो कैसे, मानव के कहर का लोग प्रतिरोध भी
कर सकते हैं, पर प्रकृति के कहर से लड़ना किसके बूते की बात है?
कोसी
में जिनके घर मजबूत थे, उनकी भी नींदें शनिवार के भूकंप के तगड़े झटके के बाद हराम
हो चुकी थी और जिनके घर कमजोर थे, उनकी हालत तो और भी खराब थी. कई परिवार ऐसे भी
थे, जिन्होंने महिलाओं और बच्चों समेत रात घर के बाहर सड़कों के किनारे या मैदान
में करवटें बदलते काटी. कल भी लोगों को बड़ी
राहत लग रही थी, पर शाम के झटके ने सबों का मबोबल फिर से तोड़ दिया. बीती रात फिर
लोगों ने जेहन में भय रख कर काटी.
एक दुखद
स्थिति यह भी थी कि लोगों की रक्षा करने का भार जिन पुलिस के जवानों पर है,
मधेपुरा थाना परिसर में मौजूद उनके क्वाटर सुरक्षित न होने के कारण उनमें से कई भी
जेनरल हाई स्कूल के मैदान पर पत्नियों और छोटे बच्चों के साथ रात काटने पहुँचते
थे.
पर कहते
हैं, ‘आशा ही जीवन है’ और लोग ये भी जानते हैं कि हर
रात के बात सुबह होती है जो नयी उम्मीदों का संचार करती है. कल का झटका मामूली था
इसलिए बहुत से लोगों ने आज सबकुछ लगभग ठीक हो जाने की उम्मीद रखी थी. और शायद अब
दहशत के पल हमसे दूर जा रहे हैं. आज देर शाम समाचार प्रेषण तक कोई नया झटका नहीं
आया जो बड़ी राहत की बात है. और लोग अब प्रकृति से यही गुहार लगा रहे हैं कि अब बस
करो, तुम्हारी ताकत के सामने हम बौने हैं.
और शायद
आज की रात के बाद कल सुबह वे यह न कह सकें कि ‘करवटें बदलते रहें सारी रात हम’.
‘करवटें बदलते रहे सारी रात हम’: रतजगा के बाद आज राहत मिलने के आसार!
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 28, 2015
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