मधेपुरा के एक पदाधिकारी तथा एक कर्मचारी के खिलाफ मधेपुरा न्यायालय में एक महिला के द्वारा शारीरिक शोषण का परिवाद
पत्र दर्ज कराया गया है.
नगर
परिषद् के वार्ड नं. 7, आजाद नगर की रहने वाली 40 वर्षीया एक महिला ने
मधेपुरा के सीजेएम कोर्ट में दर्ज कराये परिवाद पत्र में कहा है कि दोनों ने अनुकम्पा के आधार पर नौकरी दिलाने के नाम
पर उसके साथ 7-8 वर्षों तक अवैध शारीरिक सम्बन्ध बनाया.
आवेदन पत्र में महिला का कहना है कि उसके पति गृह रक्षा वाहिनी
में गृह रक्षक के पद पर थे और पैरालाइसिस के शिकार होने के बाद वे पदच्यूत हो गए
है. रानी देवी के अनुसार समाहरणालय का चक्कर काटने और नियम-कानून की जानकारी लेने
के दौरान महिला की मुलाकात दोनों से हुई और फिर दोनों ने षड्यंत्र रचकर नौकरी दिलाने का लोभ देकर
उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाते रहे.
परिवाद
पत्र में महिला ने आगे कहा है कि दिनांक 21 जुलाई 2014 को अनुकम्पा समिति में
उसके आवेदन के साथ जाली कागजात पाए जाने पर उसके खिलाफ मधेपुरा थाना कांड संख्यां
414/2014 दर्ज हुआ जिसमे वह दिनांक 08.08.2014 से 09.09.2014 तक न्यायिक
हिरासत में रही. महिला का आरोप है कि उसके आवेदन के साथ जाली कागजात अपने स्तर से
तैयार कर इसी दोनों अभियुक्तों ने संलग्न किया था. जेल से बाहर निकलने के बाद जब
रानी दोनों से मिलना चाहा तो उन्होंने मुलाकात नहीं किया और इसी 17 फरवरी को जब वह अधिकारी के आवास पर गई तो दोनों ने रानी के साथ गाली-गलौज किया तथा
धक्का देकर गिरा दिया.
क्या कहते हैं अधिकारी: सम्बंधित अधिकारी ने कोर्ट में
उनके खिलाफ दायर परिवाद पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे विगत तीन वर्षों
से ही मधेपुरा में कार्यरत हैं जबकि महिला द्वारा 7-8 सालों से शोषण का आरोप लगाया
गया है जो झूठे आरोपों को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने महिला के दिमाग में
भर दिया है कि उसका काम हमारी वजह से नहीं हुआ. जबकि महिला को अनुकम्पा पर नौकरी
देने का काम होमगार्ड डिपार्टमेंट का था, इसमें हमारे विभाग का कहीं से कोई लेना
देना नहीं है. महिला आवेदन के साथ फर्जी कागजातों के कारण जेल जा चुकी है. उनपर
लगाये गए आरोप बिलकुल झूठे और निराधार हैं. मैं चाहता हूँ कि मधेपुरा की जनता ही ऐसे
मामले की सच्चाई सामने लाये. इस तरह के गलत आरोपों से एक सरकारी अधिकारी को काम
करने में बाधा उत्पन्न होती है.
मुख्य पार्षद ने घटना पर जताया
क्षोभ:
मधेपुरा नगर परिषद् के मुख्य पार्षद डॉ० विशाल कुमार बबलू ने घटना पर गहरा क्षोभ
व्यक्त करते हुए कहा कि एक सम्मानित पदाधिकारी पर इस तरह के आरोप को हलके में नहीं
लेना चाहिए. उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की ताकि सच्चाई सामने आ
सके.
(वि० सं०)
(संशोधित: 23 फरवरी 2014, 09:17)
(संशोधित: 23 फरवरी 2014, 09:17)
पदाधिकारी समेत दो पर लगाया नौकरी दिलाने के नाम पर शारीरिक शोषण का आरोप: कोर्ट में परिवाद पत्र दाखिल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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February 22, 2015
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