|प्रेरणा किरण|20 जनवरी 2015|
सरकार द्वारा बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ पौष्टिक
आहार देकर बच्चों को कुपोषण से दूर रखने के लिए चलाये जा रहे मध्यान्ह भोजन योजना
कई विद्यालयों में लूट की योजना बन कर रह गई है. छात्रों का कुपोषण दूर होना तो
दूर की बात है छात्रों को अन्न का दाना मिलना मुश्किल हो रहा है.
मधेपुरा
जिले के आलमनगर प्रखंड के कई विद्यालयों की हकीकत तब सामने आई जब प्रखंड के बीस
सूत्री अध्यक्ष राजेश्वर राय के ग्रामीणों की शिकायत पर कई विद्यालयों की जांच की.
जांच के दौरान 2 जनवरी को जब प्राथमिक विद्यालय बथनाहा की जांच की गई तो दिन के एक
बजे विद्यालय बंद था. ग्रामीणों का कहना था कि विद्यालय दस दिनों से बंद है.
इसी तरह जब बीस
सूत्री अध्यक्ष राजेश्वर राय ने 6 जनवरी को मध्य विद्यालय शिवमंगल सिंह बासा की
जांच करने एक बजे स्कूल पहुंचे तो विद्यालय में एक भी छात्र उपस्थित नहीं था और
विद्यालय बंद था. विद्यालय परिसर में सिर्फ तीन शिक्षक और रसोइया मौजूद थे.
उन्होंने बताया कि प्रधानाध्यापक नहीं हैं और स्कूल में एक जनवरी से तबतक मध्यान्ह
भोजन बंद था. शिक्षकों ने यह भी बताया कि दिसंबर में मात्र दस दिन ही मध्यान्ह
भोजन चला है जबकि बिहार सरकार के मध्यान्ह भोजन योजना के
वेबसाईट पर दिसंबर माह में सुचारू रूप से मध्यान्ह भोजन चलने की सूचना दी गई
है और जनवरी 2015 में भी दो जनवरी को 216, तीन जनवरी को 240, पांच जनवरी को 240 और
जिस जांच के दौरान तीन बच्चे मौजूद थे उस दिन भी 240 छात्रों को मध्यान्ह भोजन का
लाभ देने का फर्जी रिपोर्ट मौजूद है.
ग्रामीणों की शिकायत पर बीस सूत्री अध्यक्ष जब मध्य
विद्यालय खुरहान माल दो बजे पहुंचे तो विद्यालय बंद था, चार शिक्षक तथा दो रसोइया
मौजूद थे. शिक्षकों ने बताया कि प्रधानाध्यापक कहीं गए हैं और मध्यान्ह भोजन आठ
दिनों से बंद है. वेबसाईट पर पांच जनवरी को 290, छ: जनवरी को 322, सात जनवरी को
330, आठ जनवरी को 335 छात्रों को मध्यान्ह भोजन योजना का लाभ देने की सूचना थी.
हैरत की बात तो यह है कि जांच के दिन भी 305 छात्रों की उपस्थिति मध्यान्ह भोजन
योजना के लिए दिखाई गई थी.
बीस सूत्री कार्यान्वयन समिति अध्यक्ष
राजेश्वर राय के जांच आवेदन पर आलमनगर के बीडीओ मिन्हाज अहमद ने सम्बंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक एवं
शिक्षकों का वेतन बंद करते हुए स्पष्टीकरण देने को कहा है.
आलमनगर प्रखंड क्या, जिले में कई विद्यालयों
में मध्यान्ह भोजन योजना गरीब बच्चों का पेट भरने में भले ही सक्षम नहीं हो पा रही
हो, पर शिक्षकों और अधिकारियों की मिलीभगत से लाखों के वारे-न्यारे तो होते ही
हैं.
मध्यान्ह भोजन योजना का हाल: बच्चों के पेट खाली, शिक्षक भर रहे हैं अपना खजाना
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 20, 2015
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