दुर्घटना में मौत, प्रशासन मुर्दाबाद. बिना लायसेंस
के कार्यक्रम करने की जिद पर अड़े लोग, प्रशासनिक अधिकारी कहते हैं लायसेंस ले
लीजिए, तो लोग कहते हैं प्रशासन मुर्दाबाद. कहीं कोई डूब कर मर गया, प्रशासन
मुर्दाबाद.
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मधेपुरा
में छठ के घाट पर गणेशस्थान के 55 वर्षीय झकस यादव की मौत डूबने से हो गई.
प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि वह प्रशासन के द्वारा बनाये गए खतरे की लाइन से आगे
चला गया. जाहिर है हर
व्यक्ति के पीछे प्रशासन के द्वारा गोताखोरों को नहीं लगाया
जा सकता है. देखा जाय तो यहाँ बहुत सारे लोग सुरक्षा के निर्देशों की धज्जी उड़ाने
में अपनी शान समझते हैं.
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कल शाम
में झकस की मौत हुई और आज सुबह कई लोग जमकर प्रशासन के निर्देशों की धज्जियाँ
उड़ाते नजर आये. जहाँ झकस डूबे थे वहीँ
पर कई युवक बनाये गए बैरिकेड से बाहर जाकर किलकारियां मार रहे थे. एनडीआरएफ के
जवान उन लोगों को वापस जाने को कहते रहे पर कई थे मानो उनपर प्रशासन की बातों का
कोई असर ही नहीं दिख रहा था. घाट पर एक कोने से मधेपुरा के अंचलाधिकारी उदय कृष्ण
यादव भी चिल्ला-चिल्लाकर डेंजर जोन में घुसे लोगों को निकल जाने की मिन्नतें करते
रहे, पर प्रयास का नतीजा कुछ नहीं निकलता देख रहा था. लोग मानो अपनी जान से खिलवाड़
करने की जिद पर अड़े हुए थे. उधर छठ के कई दिन पहले से ही डीएम, एसपी और अन्य अधिकारी घाटों पर घूमघूम कर सुरक्षा की जांच करते रहे थे और लोगों से प्रशासन के निर्देशों का पालन करने के लिए अनुरोध करते रहे थे.
अब ऐसी
स्थिति जहाँ लोग खुद जान देने को बेताब हों, वहाँ प्रशासन भला क्या कर सकती है?
नगर परिषद् की ओर से भी सुरक्षा सम्बंधित बैनर घाटों पर लगाये गए थे, पर लापरवाहों
को ये नजर नहीं आता है. हालाँकि प्रशासन के प्रयास का असर भी बहुत हद तक दिखा और
मधेपुरा में घाटों पर बहुत कुछ अभूतपूर्व ढंग से व्यवस्थित दिखा. पर कुछ मानसिक
दिवालिया किस्म के लोगों को समझाना व्यर्थ साबित हो रहा था.
सीधी सी
बात है जिन्हें खुद अपनी सुरक्षा का ख्याल नहीं उसे प्रशासन क्या भगवान भी शायद ही
बचा सके.
झकस की मौत से उपजे सवाल: जिला प्रशासन क्या, इन्हें भगवान भी बचा सकते हैं क्या ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 30, 2014
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