
हत्या
जैसे संगीन अपराधों को अंजाम देने वाला बिहारीगंज थाना के पकिलपार का रहने वाला
छबिया यादव और उसके सहयोगी कुख्यात सिंटू मेहता की गिरफ्तारी से जहाँ छबिया के
गैंग के दर्जनों कुख्यात अपराधियों ने इलाका छोड़ दिया वहीँ चौसा चिरौरी के पंकज
मुनि भी जब पुलिस
के हत्थे चढ़ा तो इलाके के लोगों का भरोसा मधेपुरा पुलिस पर मजबूत
हुआ. इसी तरह रंजीत मंडल की गिरफ्तारी से न सिर्फ मधेपुरा बल्कि सहरसा और
पूर्णियां की पुलिस ने भी राहत की सांस ली है.

बताया
जाता है कि कुख्यात अपराधी छबिया उर्फ छविलाल बिहारीगंज थाना के चार केसों में
वांछित था जिसमे हत्या, हत्या के प्रयास और लूट जैसे मामले भी शामिल थे. सिंटू
मेहता भी छविलाल का सहयोगी था और इस दोनों की गिरफ्तारी ने उस इलाके को बड़ी राहत
पहुंचाई. पंकज मुनि चौसा का आतंक था और एक बड़े गिरोह को संचालित करने में उसकी बड़ी
भूमिका थी. इसी तरह मधेपुरा पुलिस के शिकंजे में आया बडहरा कोठी निवासी रंजीत मंडल
तीन जिलों का आतंक माना जाता था जिसपर पुरैनी, बडहरा कोठी (रघुवंश नगर), सहरसा,
भवानीपुर, बिहारीगंज आदि
थानों में दर्जनों मामले लंबित थे और माना जाता था कि
हत्या, लूट, रंगदारी और ट्रेन डकैती जैसे अपराधों में रंजीत मंडल माहिर था. पर
मधेपुरा पुलिस के हत्थे चढ़ जाने के बाद ये निरीह हो गए और इनके गिरोह की ताकत भी
जाती रही क्योंकि मधेपुरा पुलिस ने इन्हें बड़ी मात्रा में हथियारों के साथ
गिरफ्तार किया था.

मधेपुरा
के एसपी आनंद कुमार सिंह इन अपराधियों की गिरफ्तारी से काफी उत्साहित हैं. उनकी
बनाई रणनीति और क्राइम मीटिंग्स सहित व्यक्तिगत रूप से पुलिस पदाधिकारियों को दिए
गए निर्देश जहाँ अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजने में सफल सिद्ध हुए वहीँ अब वे
बचे कुख्यातों को भी जल्द ही सलाखों के पीछे पहुंचाने कि उम्मीद रखते हैं. साथ ही
वे गिरफ्तार कुख्यातों को स्पीडी ट्राइल के माध्यम से अधिक से अधिक सजा दिलाने के
लिए भी प्रयासरत हैं.
अपराधियों पर कसता शिकंजा पुलिस का: ये हैं चार बड़े आतंक जो खुद को बचा नहीं सके मधेपुरा पुलिस से
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 30, 2014
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