सांसद बनाम आईएमए विवाद: एक ऑपरेशन

 मधेपुरा के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने संसदीय क्षेत्र के निजी क्लिनिक चलाने वाले चिकित्सकों को अपनी फीस कम करने का आग्रह किया तो सांसद के इस आग्रह को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की सहरसा शाखा ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सांसद का यह फरमान असंवैधानिक के साथ ही अधिकार क्षेत्र से बाहर है. अपनी मांग को इस तरह से खारिज होते देख सांसद ने कहा कि चिकित्सक रोगियों को पैसे लेने की रसीद दे.
      आइये इस पूरे प्रकरण की चीर-फार (ऑपरेशन) हम अपने स्तर से कर के देखें.

सांसद का आग्रह कितना उचित: यह बात निर्विवाद सत्य है कि कोशी का इलाका देश के अत्यंत पिछड़े इलाकों में से एक है और यहाँ की एक बड़ी आबादी भुखमरी की शिकार है. सरकारी स्तर पर चलाये जा रहे योजनाओं का कड़वा सच किसी से छुपा हुआ नहीं है. अधिकारियों-बिचौलियों-जनप्रतिनिधि की भेंट चढ़ रहे योजनाओं की राशि ग़रीबों का निवाला नहीं बन पा रहे हैं. ऐसे में यदि बीमारी भी इन्हें जकड़ ले तो फिर सबकुछ सत्यानाश. खाने को लाले पड़े हैं और फिर डॉक्टर की महँगी फीस, कई तरह के महंगे टेस्ट्स और फिर महँगी दवाइयाँ. जीते जी नर्क के दर्शन हो जाते हैं. ऐसे में यहाँ सांसद का आग्रह न तो असंवैधानिक तो हो सकता है, और न ही अधिकार क्षेत्र से बाहर, क्योंकि ये मानवता पर आधारित आग्रह प्रतीत होता है. वैसे भी आग्रह या अनुरोध में न तो संविधान को देखा जाना चाहिए और न ही अधिकार क्षेत्र को.

आईएमए का विरोध कितना सही:  सांसद के आग्रह का विरोध करना इंडियन मेडिकल एशोसिएशन के अधिकार क्षेत्र में आता है. फीस नहीं घटाएंगे का फैसला एशोसिएशन के द्वारा यदि लिया जाता है तो ये उनका नियमानुसार फैसला हो सकता है. आईएमए चिकित्सकों के लिए उनकी कंट्रोलिंग ऑथोरिटी है. फीस क्या होनी चाहिए, आईएमए फैसला ले सकती है, पर अधिकतर जब कोई संगठन फैसला लेती है तो वह अपना लाभ देखती है चाहे उन फैसलों का असर आम आदमी की सेहत पर जैसे पड़े.

अधिकार के साथ होते हैं कर्त्तव्य: जब बात संवैधानिक-असंवैधानिक की उठी है तो एक बार हम भारत के सुप्रीम लॉ भारतीय संविधान की चर्चा कर लें जिसमें अधिकारों के साथ कर्तव्यों के बारे में भी लिखा गया है. संविधान में अंकित दस कर्तव्यों में आठवें नंबर पर है, भारत का प्रत्येक नागरिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे. ऐसे में मानववाद और सुधार की भावना का विकास हर नागरिक का कर्त्तव्य है चाहे वो सांसद हो, या चिकित्सक या फिर कोई और. लोगों के रहन-सहन में सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आदि के बारे में सोचना सबका काम होना चाहिए और खास कर जो सक्षम हैं उनका अधिक.

अंदर की बात: यदि साफ़ शब्दों में अंदर की बात करें तो अधिकाँश चिकित्सकों का अमानवीय चेहरा हमारे सामने दिख सकता है. कुछ ही वर्षों में कई चिकित्सकों का फर्श से अर्श पर पहुंचना सेवा के नाम पर लूट की एक बड़ी दास्ताँ कह जाती है. छोटी बीमारी को बड़ी बनाकर अधिक फीस लेना, लैब वालों से कमीशन, दवा कंपनियों से सांठगांठ के बदौलत देश-विदेश यात्रा और जल्द ही अकूत संपत्ति अर्जित करना आज के दौर में मेडिकल पेशे की शान समझा जाने लगा है. चिकित्सक द्वारा दवा कंपनियों के टारगेट को पूरा करने के लिए रोगियों पर अनापशनाप दवाइयों का भार देना भी आज सामान्य सी बात है. कुछ ही ईमानदार और अच्छे चिकित्सकों की वजह से कुछ डॉक्टर अभी भी भगवान कहे जाते हैं.

निष्कर्ष: मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव की उक्त मांग जनहित में है. डॉक्टरों की फीस कम होनी चाहिए और लैब में टेस्ट्स के रेट कम होने चाहिए, जिसमें सांसद का प्रयास सराहनीय है. तीसरी बात कि आम जनता के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का प्रयास चिकित्सकों का मिशन होना चाहिए न कि कमीशन.
      वैसे भी अधिकाँश डॉक्टरों के क्लिनिक पर टंगे बोर्ड पर लिखा रहता है-
      सर्वे भवन्ति सुखिनः सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुखभाग भवेद्. (यानि सभी सुखी हों, सभी निरोग हों, सभी कल्याण को देखें, किसी को कोई दुख न हो.)     
सांसद बनाम आईएमए विवाद: एक ऑपरेशन सांसद बनाम आईएमए विवाद: एक ऑपरेशन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 10, 2014 Rating: 5

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