

दरअसल
अल्टरनेटिव मेडिसिन चिकित्सा शास्त्र की वो विधा है जो पूर्णत: वैज्ञानिक
प्रक्रिया पर आधारित नहीं होने के बावजूद सदियों से कई बीमारियों के इलाज में
कारगर साबित हो रही है. इस पारंपरिक विधा में नेचुरोपैथी, एक्यूपंक्चर, ट्रेडिशनल
चाइनीज मेडिसीन, आयुर्वेदिक मेडिसिन, क्रिश्चियन फेथ हीलिंग आदि आते हैं, जिनपर
बहुत से रोगियों को भरोसा होता है.
भारत
में अल्टरनेटिव मेडिसिन सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए सेन्ट्रल गवर्नमेंट एक्ट XXI of 1860 के तहत कोलकाता में इन्डियन बोर्ड ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन्स स्थापित है जहाँ से
अल्टरनेटिव मेडिसिन से सम्बंधित कई कोर्सेज कराये जाते हैं. इसके अलावा तामिलनाडु
में महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी के सौजन्य से तथा कर्नाटक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी के
द्वारा भी अल्टरनेटिव मेडिसिन से सम्बंधित कई तरह के कोर्स कराये जाते हैं और डिग्री
दी जाती है. इसकी सबसे खास बात यह है कि अल्टरनेटिव सिस्टम ऑफ मेडिसिन्स के तहत
प्रैक्टिस करने के लिए मेडिकल काउन्सिल ऑफ इंडिया से किसी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता
(letter No. MCI-34(1) /
96-Med. / 10984) नहीं है.
अल्टरनेटिव
मेडिसिन में दक्षता प्राप्त व्यक्ति पूरे भारत में प्रैक्टिस कर सकता है और जहाँ
मदर टेरेसा से लेकर दलाई लामा तक जैसे महान लोगों ने अल्टरनेटिव मेडिसिन की तारीफ़
की है वहीँ सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट, पश्चिम बंगाल, हाई कोर्ट कर्नाटक,
हाई कोर्ट दिल्ली आदि ने भी इसकी वैधता को स्वीकारा है.
(ब्यूरो रिपोर्ट)
अल्टरनेटिव मेडिसिन (ए.एम.) की डिग्री पर मेडिकल प्रैक्टिस करना कितना वैध ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 19, 2014
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