जिलाधिकारी गोपाल मीणा के मधेपुरा में पूरे हुए एक वर्ष: लोगों ने कहा, ‘बेस्ट डीएम’

2007 बैच के आईएएस गोपाल मीणा के मधेपुरा जिलाधिकारी के रूप में आज एक साल पूरे हो गए. गत वर्ष 30 अगस्त को मधेपुरा के जिलाधिकारी के रूप में गोपाल मीणा ने निवर्तमान जिलाधिकारी उपेन्द्र कुमार से पदभार ग्रहण किया था.
      मधेपुरा के जिलाधिकारी के रूप में गोपाल मीणा का आगमन लोगों में एक नई उम्मीद लेकर आया. सिवान से मधेपुरा आने के बाद जिलाधिकारी ने सबसे पहले मधेपुरा के कार्यालयों में हो रहे कार्यों में सुधार लाने की कोशिश की और कुछ ही दिनों में उनके अधीनस्थ कार्यालयों में होने वाले कार्य-प्रणाली में उल्लेखनीय सुधार स्पष्ट रूप से दिखने लगे. पहले जहाँ न तो अधिकारियों के आने-जाने का कोई समय निर्धारित था और न ही काम को अपडेट रखने का ही कोई माहौल ही था. पर जिलाधिकारी गोपाल मीणा की सख्ती और सक्रियता से कार्यालयों की सूरत बदली-बदली सी नजर आने लगी. अधिकारी जहाँ अब फाइलों में उलझे नजर आने लगे वहीँ लोगों की समस्याएं सुलझनी शुरू हो गई.
      जिलाधिकारी के जनता दरबार में आये कई आवेदनों पर तो चंद मिनट में ही कार्यवाही हो गई तो फर्जी आवेदनकर्ता पर भी सख्ती बरती जाने लगी.

अपने इतिहास में पहली बार मधेपुरा ने देखा कदाचारमुक्त परीक्षा: मधेपुरा में मैट्रिक, इन्टरमीडिएट तथा अन्य परीक्षाओं में कदाचार का इतिहास काफी पुराना है. पहले जितने भी जिलाधिकारी आये परीक्षाओं में पूरी तरह कदाचार को रोकने में विफल साबित हुए.

ईमानदार और कर्मठ माने जाने वाले नए जिलाधिकारी गोपाल मीणा के कार्यकाल में जब इंटर की परीक्षा का समय नजदीक आया तो ये आमलोगों में बहस का मुद्दा हो गया कि क्या इस बार डीएम कदाचारमुक्त परीक्षा करवा सकेंगे या फिर मधेपुरा के नकलार्थी, कदाचार के समर्थक अभिभावकों और शिक्षा माफियाओं के सामने इन्हें भी घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ेगा ? पर जब परीक्षाएं शुरू हुई तो कदाचार की हवा निकल गई और मधेपुरा को प्रगति के पथ पर देखने वाले लोगों ने अपनी पूरी जिंदगी में पहली बार सुखद अहसास का अनुभव किया. जब मैट्रिक की परीक्षा भी कदाचारमुक्त हो गई तो फिर बुद्धिजीवियों ने कहा कि यदि शीर्ष पर बैठा एक व्यक्ति भी ईमानदारी से चाह ले तो कुछ भी संभव है.
                                         
ट्रेजरी में मार्च लूट हुआ खत्म: सरकारी विभागों और कार्यालयों में सरकार द्वारा भेजे गए आबंटनों को जायज-नाजायज ढंग से खर्च करने की परंपरा भी मधेपुरा में वर्षों से चले आने के आरोप लगते रहे हैं. इस आरोप को इस बात से भी बल मिलता रहा है कि 31 मार्च और इसके आसपास ट्रेजरी में बिल पास कराने की भीड़ लगी रहती थी. पर 2014 का मार्च सबसे अलग दिखा और ट्रेजरी में मार्च के अंतिम दिन न तो कोई भीड़ थी और न ही कोई बिल ही लंबित था.
      एक जिलाधिकारी के रूप में सरकारी योजनाओं को भी लागू कराने और शिकायत मिलने पर कार्यवाही करने में गोपाल मीणा को काफी हद तक तक सफल कहा जा सकता है और यदि कुछ मामलों में कोई कमी रही तो जानकारों का मानना है कि कुछ निचले अधिकारियों, कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों के असहयोग की वजह से योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक नहीं नहीं पहुँच सका.

प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता: जिलाधिकारी गोपाल मीणा ने आने से साथ ही ट्रांसपेरेंसी इन एडमिनिस्ट्रेटिव वर्क के सिद्धांत को लागू करने की बेहतर कोशिश की. योजनाओं तथा अन्य कार्यवाहियों के बारे में जहाँ आमलोगों को पहले कुछ भी पता नहीं चल पाता था वहीँ अब मधेपुरा प्रशासन के वेबसाईट पर लोगों के लिए सारी सूचनाएं उपलब्ध कराई जाने लगी.
   कुल मिलाकर जिलाधिकारी गोपाल मीणा के पहले एक वर्ष का कार्यकाल मधेपुरा में बदलाव का इतिहास लिख गया और लोगों का भरोसा जिला प्रशासन में बहुत हद तक बढ़ गया.
जिलाधिकारी गोपाल मीणा के एक साल पूरे होने पर मधेपुरा टाइम्स के द्वारा पाठकों से ली गई प्रतिक्रिया में अधिकाँश लोगों ने कहा, He is the best DM.
(डीएम गोपाल मीणा पर पाठकों की प्रतिक्रियाएं जल्द ही)
(ब्यूरो रिपोर्ट)
जिलाधिकारी गोपाल मीणा के मधेपुरा में पूरे हुए एक वर्ष: लोगों ने कहा, ‘बेस्ट डीएम’ जिलाधिकारी गोपाल मीणा के मधेपुरा में पूरे हुए एक वर्ष: लोगों ने कहा, ‘बेस्ट डीएम’ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 30, 2014 Rating: 5

4 comments:

  1. I really want to congratulate him as he did all with the given resources which is very hard to handle and addicted for SARKARI naukri tradition(black side). I also interacted him and found transparent in processes. Let hope for the best. Good Luck.

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  2. मेरा प्रोजेक्ट वर्ष २००८-०९,जिला मधेपुरा प्रखंड मुरलीगंज पंचायत परवा नवटोल,पंचायत मे ब्याप्त कमीसनखोरी के खिलाफ उग्र आन्दोलन .भ्रस्ट पंचायत सचिव ने सुचना २००५ उपलब्ध नही करवायी,बिचौलिया पंचायत प्रतिनिधि बैक मेनेजर ने मिलकर १०७ इंदिरा आवास योजना के लाभार्थी के पैसै एक मुस्त उठाये वो भी बिन लाभार्थी के.

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  3. मेरा प्रोजेक्ट वर्ष २००८-०९,जिला मधेपुरा प्रखंड मुरलीगंज पंचायत परवा नवटोल,पंचायत मे ब्याप्त कमीसनखोरी के खिलाफ उग्र आन्दोलन .भ्रस्ट पंचायत सचिव ने सुचना २००५ उपलब्ध नही करवायी,बिचौलिया पंचायत प्रतिनिधि बैक मेनेजर ने मिलकर १०७ इंदिरा आवास योजना के लाभार्थी के पैसै एक मुस्त उठाये वो भी बिन लाभार्थी के.सैकरों शिकायत उस समय के जिलाधिकारी डीडीसी बीडीओ.बैक प्रबन्धक आदि को अबेदन दिया गया.कार्यवाही तो आजतक नही हुइ.मुरलीगंज थाना काण्ड सं.५७/०९एवं ६१/०९ पर गौर किया जाय.

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  4. मेरा प्रोजेक्ट वर्ष २००८-०९,जिला मधेपुरा प्रखंड मुरलीगंज पंचायत परवा नवटोल,पंचायत मे ब्याप्त कमीसनखोरी के खिलाफ उग्र आन्दोलन .भ्रस्ट पंचायत सचिव ने सुचना २००५ उपलब्ध नही करवायी,बिचौलिया पंचायत प्रतिनिधि बैक मेनेजर ने मिलकर १०७ इंदिरा आवास योजना के लाभार्थी के पैसै एक मुस्त उठाये वो भी बिन लाभार्थी के.

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