गत 05 जून को मधेपुरा जिले के शंकरपुर थानाक्षेत्र
के एकराहा गाँव में एक युवक की पिटाई कर
कथित रूप से उसकी आँखों में तेज़ाब डाल
देने की घटना भले ही एक नजर में सनसनीखेज़ दिखे, पर मामले की तह में जाने पर जहाँ
आँखों में तेज़ाब डालने की बात संदेहास्पद जान पड़ती है वहीँ कई और बातें भी सामने
आती है.
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पीड़ित
झरकाहा, शंकरपुर निवासी पवन कुमार यादव पिता- मिश्रीलाल यादव ने एफआईआर दर्ज करवाने के लिए दिए गए
फर्दबयान में कहा है कि 05 जून की शाम करीब 05.30 बजे उसे एकराहा चौक पर मुंशी
यादव, उपेन्द्र यादव, संतोष कुमार एवं उनके परिवार के आठ-दस व्यक्ति ने उसे घेर
लिया और मारपीट करते हुए अपने गाँव (बराराही) में एक सुनसान जगह पर ले जाकर
लाठी-डंडा से मारपीट कर उसे जख्मी कर दिया. उपेन्द्र यादव जान मारने की नीयत से
दोनों आँख चाकू से निकालने लगे और फिर उसे मरा हुआ समझकर रात के आठ बजे ग्रामीण
सड़क पर फेंक कर भाग गए. शुक्रवार 06 जून को सुबह में हल्ला हुआ तो लोग उसे उठाकर
शंकरपुर के प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र इलाज के लिए लाये.
पीड़ित
पवन यादव ने झगड़े का कारण पूर्व में मुंशी यादव द्वारा पवन के परिवार पर दर्ज एक
अपहरण केस बताया है जिसमें पवन का भाई ललन और बहनोई अभी भी जेल में है तथा पवन
न्यायालय से जमानत पाकर बाहर आया है. पवन ने फर्दबयान में दावा किया है कि नामजद
लोगों ने जान मारने की नीयत से दोनों आँख जख्मी कर मारपीट कर मरा हुआ समझकर उसे
फेंक दिया है.
आगे क्या हुआ?: शंकरपुर प्राथमिक
स्वास्थ्य केन्द्र में पवन यादव की आँखें नहीं खुल रही थी और आँखों के आसपास कई
ऐसे सूजन के निशाँ थे जिससे साफ़ प्रतीत होता था कि हमलावरों का निशाना पवन की
आँखें थी. चर्चा होने लगी कि कहीं आँखों में तेज़ाब तो नहीं डाल दिया गया है, और
चर्चा जंगल की आग की तरह पूरे इलाके में फ़ैल गई कि पवन यादव की आँखों में तेज़ाब
डाल दिया गया है.
इनसाइड स्टोरी: दरअसल इस पूरे मामले
के कई पहलू हैं जिन्हें निष्कर्ष तक पहुँचने से पहले समझना जरूरी है.
कहानी
करीब दो साल पहले शुरू होती है जब इस ताजा कांड के आरोपी उपेन्द्र यादव ने पवन को
पकड़कर अपनी बेटी से उसकी जबरन शादी करा दी थी. बताया जाता है कि पवन जब लड़की को
अपनाने के लिए तैयार नहीं हुआ तो लड़की के परिजनों ने उसके साथ मारपीट की और लड़की
को नहीं अपनाने पर जान से मारने की धमकी दी थी. उस घटना के बाद अचानक से उपेन्द्र
के भाई महेंद्र के बेटे का अपहरण हो जाता है और ये माना गया कि उसका अपहरण पवन ने
ही बदले की भावना से किया था. अपहृत नहीं मिला और फिर दोनों परिवार में दुश्मनी और
भी बढ़ गई और उपेन्द्र का परिवार पवन से बदला लेने की ताक में लग गया. अंतत: 05 जून
की घटना हुई और सबने मिलकर पवन पर हमला कर दिया. उसके चेहरे और आँखों पर लाठी और
डंडे का इतना प्रहार हुआ कि उसकी आखें बुरी तरह घायल हो गई.
क्या हुआ था तेज़ाब का प्रयोग? मधेपुरा टाइम्स की
तफ्शीश के मुताबिक़ आखों में तेज़ाब डालने की आशंका नहीं के बराबर है. सबसे
महत्वपूर्ण बात है कि पवन ने पुलिस के सामने हमले की कहानी में तेज़ाब की बात को
नहीं कहा, बल्कि आँख चाकू से निकालने के प्रयास की बात कही.
जानकारों के मुताबिक़
यदि आखों में तेज़ाब डाला जाता तो वहां कुछ भी शेष रहने की संभावना नहीं थी, जबकि
इस मामले में डॉक्टर ने कॉर्निया क्षतिग्रस्त होने की बात कही है. इंज्यूरी
रिपोर्ट में भी तेज़ाब के हमले की बात नहीं है. वैसे भी साथ वाले चित्र से आँखों की
बनावट समझिए. कॉर्निया सिर्फ उपर का भाग है. तेज़ाब के अधिकाँश मामले में हमले में
सिर्फ कॉर्निया ही नहीं बल्कि पुपिल, लेंस और रेटिना भी क्षतिग्रस्त हो जाता है.
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जो भी
हो, इतना तो कहा ही जा सकता है कि पवन के साथ बहुत बुरा हुआ है और वह देखने में
असमर्थ है. मामले की जांच ठीक ढंग से होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा
मिलनी चाहिए.
शंकरपुर कांड: ससुर ने डाला था दामाद की आँखों में तेज़ाब या फिर सच्चाई है कुछ और ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 11, 2014
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