|वि० सं०| 28 मई 2014|
मधेपुरा के रहने वाले ललन सर्राफ का नाम एमएलसी के
रूप में घोषित होते ही मधेपुरा के लोगों में एक खुशी की लहर फ़ैल गई. कारण साफ़ था,
दशकों से इस इलाके में जो विकास होना चाहिए था उससे लोग अबतक मरहूम रहे. कोशी में
नेताओं ने जहाँ अपनी स्वार्थसिद्धि में जनता की उपेक्षा की, वहीं नए एमएलसी ललन
सर्राफ के उम्दा स्वभाव और मधेपुरा में इनके पिछले योगदान को देखते हुए लोगों की
उम्मीदें बढ़नी स्वाभाविक है.
जानिये ललन सर्राफ को: 1974 के जेपी आंदोलन से निकले ललन सर्राफ का जन्म मधेपुरा में ही 22 जनवरी 1953 को हुआ था. समाजसेवी लखी सर्राफ के पुत्र ललन सर्राफ बचपन से अत्यंत मेधावी छात्र थे और मधेपुरा के एसएनपीएम हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की. पर मारवारी कॉलेज से ग्रेजुएशन और कलकत्ता से सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंसी) करने वाले ललन सर्राफ 1974 के जेपी आंदोलन में सक्रीय भूमिका निभाने से अपने को रोक नहीं सके और भागलपुर में छात्रआंदोलन

जेपी
आंदोलन के दौरान ही आंदोलन में सक्रिय जयप्रकाश नारायण की भगिनी सुधा श्रीवास्तव (अब
स्वर्गीया) से भागलपुर में श्री सर्राफ का परिचय हुआ. सुधा श्रीवास्तव का माइका
पटना और ससुराल भागलपुर था और वे बाद में लालू मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री और
नीतीश मंत्रिमंडल में भी मंत्री रही थी. कहते हैं कि जयप्रकाश नारायण के आहान पर
ललन सर्राफ ने अंतर्जातीय शादी करने का फैसला किया और फिर उनकी शादी सुधा
श्रीवास्तव की द्वितीय सुपुत्री से संपन्न हुई.
वर्ष
1995 से सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेने वाले ललन सर्राफ विधान पार्षद बनने से
पूर्व जदयू के व्यावसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक के पद पर तो रहे ही साथ ही कई
चुनाव कार्यों में भी इनकी भूमिका सराहनीय रही. पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा
बिहार के विकास कार्यों में श्री सर्राफ ने भी कई कार्यक्रमों, ट्रेनिंग आदि का
सफलतापूर्वक संचालन किया, पर श्री सर्राफ को सबसे अधिक व्यवसायियों और उद्यमियों
की समस्याओं के निदान के सार्थक प्रयास के लिए जाना जाता है.
समाजसेवा
के क्षेत्र में भी श्री सर्राफ के कार्यों की लंबी फेहरिस्त है. मधेपुरा में
गौशाला, धर्मशाला, विवाह भवन आदि के रखरखाव में जहाँ इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा
वहीँ मधेपुरा में सरकार के मुक्तिधाम योजना हेतु श्री सर्राफ ने परिवार की जमीन
दान दे दी. गरीब, अनाथ बच्चों की सहायता, रोगियों और लाचार लोगों को चिकित्सा
सुविधा आदि भी मुहैया कराने में ललन सर्राफ ने बढचढ कर हिस्सा लिया. यही नहीं मधेपुरा में इन्होने महादलितों को बसने के लिए करीब 15 कट्ठा जमीन भी दे दी.
बी.कॉम
(ऑनर्स), एल.एल.बी, एफसीए की डिग्री तथा चार्टर्ड एकाउंटेंट के रूप में उलेखनीय
पहचान बनाने वाले ललन सर्राफ के विधान पार्षद बनने के बाद मधेपुरा और कोशी के
लोगों में एक आशा की नई किरण का संचार नजर आ रहा है. इनकी क्षमता और योग्यता पर
भरोसा रखने वाले लोग तो यहाँ तक सोच रहे हैं कि जीतन राम मांझी के मंत्रिमंडल के
विस्तार में यदि इन्हें बिहार के वित्त विभाग की जिम्मेवारी सौंप दी जाय तो बिहार
के विकास में निश्चय ही ललन सर्राफ का योगदान उल्लेखनीय होगा.
ललन सर्राफ: मधेपुरा के रहने वाले नए विधान पार्षद से है कोशी के लोगों को बड़ी उम्मीदें
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 28, 2014
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