आजकल नेताओं के जुबानी जंग में जुबान इस कदर गंदे हो
गए हैं कि मानो राजनीति में संस्कार, सभ्यता और गरिमा नाम की कोई चीज ही नहीं बची हो.
सच माने तो नफ़रत पैदा कर देती है इन नेताओं की बयानबाजी. ना देश की मर्यादा का ख्याल ना हीं कोई देश से जुड़े मुद्दों का
ख्याल बस पार्टियों
और नेताओं के खिलाफ हर कोई आग
उगलता हुआ दिख रहा है. शाम तक टेलीविजन पर देख
सकते हैं इन नेताओं के जुबान पर लगे जहर, ये देश के नेता रूपी ठेकेदार देश, धर्म-मजहब, जात-पात, इन्सान और अनर्गल अंजाम के नाम से एक दूसरे को गाली देने और डराने में लगे हुए हैं और
इन्सान को इन्सान से बांट रहे हैं.
झूठ, मक्कारी, पलट्बाजी
के पैतरे कई नेताओं के मुख्य
मंत्र में
शामिल होते जा रहे हैं. आगे निकलने की होड़ में
सामाजिक मर्यादाओं को भी सरेआम दागदार करते जा रहे हैं. कुछ अपवाद को छोड़ दें तो लगभग सभी नेताओं के नैतिक और
चारित्रिक जिम्मेवारी कीचड़ भरे गंदे नाले में डूबते दिखते हैं. हम
भी आज इन्हीं नेताओं में से किसी एक को अपना मान कर हाथ हवा में उछालने लगते हैं
ये जानकर भी कि कमी कहाँ हैं. हम खामोश रहते हैं यही सोचकर कि मैं क्या कर सकता हूं, किसी तरह तो सबकुछ चल हीं रहा है, या फिर आगे सब ठीक हो हीं जायेगा. कुछ लोग ख़ामोशी से भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं और कुछ लोग ख़ामोशी से
भीड़ से अलग हो जाते हैं लेकिन यही तरीका इन मौकापरस्त नेताओं के हौसले को पंख लगा देती है जिससे कि ये हमारे सामजिक सौहार्द को तोड़कर हम पर राज करने में सफल हो जाते हैं.
मगर आज जरूरत है नए लोगों की नए तरीके के साथ स्वच्छ राजनीति में प्रवेश करने की और इन घटिया राजनीति करने वालों से देश और समाज को बचाने की ताकि आनेवाला भविष्य सुन्दर हो, वरना वो दिन दूर नहीं होगा जब भारत अन्तर्कलह के अंधकार
में डूबा होगा और शासन तख्ता-पलट वाली सिस्टम पर आधारित हो जाएगी !
अमित सिंह ‘मोनी’
मधेपुरा
इन घटिया राजनीति करने वालों से बचाएं देश और समाज को
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 02, 2014
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