|मुरारी कुमार सिंह|31 मार्च 2014|
यदि आपको याद हो तो पहले के वर्षों में मधेपुरा
ट्रेजरी 31 मार्च की पूरी रात गुलजार रहा करती थी. पुरानी कचहरी के बरामदे और
परिसर में विभिन्न विभागों के ‘बिल एक्सपर्ट’ बिल बनाते रहते थे और बुरा न मानिए, कोषागार के बाबूओं और
पदाधिकारियों को ‘खुश’ कर रात भर अनाप-शनाप बिल पास
करते रहते थे. चूंकि आबंटन को वित्तीय वर्ष समाप्त होने के कारण सरकार को वापस
करना होता था, इसलिए सबों की मिलीभगत से चाहत यही रहती थी कि अधिक-से-अधिक प्राप्त
राशि खर्च दिखा दी जाए. और शायद इसीलिए लोगों ने मजाक में इस दिन का नाम ‘मार्च क्लोजिंग’ की बजाय ‘मार्च लूट’ रख दिया था.
पर इस
बार कोषागार का नजारा कुछ और ही दिखा. 31 मार्च को कोषागार के पास कोई विपत्र पास
करने के लिए नहीं बचा था और न ही कोषागार पर कोई भीड़ लगी थी. बताया जाता है कि
जिलाधिकारी के सुझाव और दिशानिर्देश की वजह से कोषागार की स्थिति बदली और पहले
जहाँ 31 मार्च को क़ानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो जाया करती थी वहाँ इस बार
सब कुछ शांतिपूर्ण रहा. जिलाधिकारी गोपाल मीणा ने आज कोषागार का औचक निरीक्षण किया
और व्यवस्था पर संतोष जाहिर किया.
31 मार्च को ट्रेजरी में नहीं लगी भीड़: ‘मार्च लूट’ का माहौल हुआ खत्म ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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March 31, 2014
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