मधेपुरा में अब किसी को घर भाड़े पर और जमीन लीज पर
देना ‘रिस्की’ हो चला है. दबंगई के बल पर
दूसरे के घर या जमीन को अपना समझ लेने की गलती भले ही ये बेईमान नीयत वाले कर लें,
पर कानून की किताब में एक बड़ी ही प्रसिद्द कहावत है, ‘लॉ इज एवभ आल’, यानी क़ानून सबसे ऊपर है. और जब
क़ानून का डंडा पड़ता है तो बड़े-बड़े सूरमा भी जमीन पर पड़े नजर आते हैं.
मधेपुरा
के पुरानी बाजार स्थित प्रिया टॉकीज का भवन जहाँ आज सुबह लोगों को नजर आ रहा था,
वहीँ इस पर आज कानून का बुलडोजर चल गया और देखते ही देखते ये मिट्टी में मिल गया
है. न्यायालय ने इस पूरे कंस्ट्रक्शन को ढाह दिया है और अब ये पूर्व में बंद हो
चुका प्रिया टॉकीज संजय यादव का नहीं रहा बल्कि इस पर जमीन मालिक रघुनन्दन भगत का
पूरा कब्ज़ा हो चुका है.
जमीन
मालिक के पुत्र अधिवक्ता प्रभात कुमार बताते हैं कि जमीन लीज पर संजय यादव को दिया
गया था और इस पर सिनेमा हॉल चल रहा था, पर अचानक हॉल मालिक ने भाड़ा देना बंद कर
दिया और जमीन भी खाली करने से इनकार कर दिया. मामले को पीड़ित पक्ष ने न्यायालय में
रखा तो फैसला जमीन मालिक के पक्ष में हुआ. विपक्षी सुप्रीम कोर्ट तक गए पर सच तो
सच ही होता है. सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश जमीन मालिक की तरफ ही रहा और मधेपुरा
कोर्ट का फैसला बरक़रार रह गया.
आज
न्यायालय की तरफ से नाजिर रंजीत कुमार सिन्हा, मधेपुरा के अंचलाधिकारी उदय कृष्ण
यादव पुलिस बल के साथ साथ पहुंचे और जब न्याय का बुलडोजर प्रिया टॉकिज के भवन पर
चला तो आसपास के लोगों ने इस बात को मान लिया कि सचमुच क़ानून के हाथ लंबे होते
हैं.
कैसे तोड़ा गया प्रिया टॉकिज को, वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.
कैसे तोड़ा गया प्रिया टॉकिज को, वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.
कल चमन था आज ये सेहरा हुआ...बुलडोजर चला और देखते ही देखते मिट्टी में मिल गया प्रिया टॉकीज
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 30, 2014
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yani jiski lathi uski bhains wali kahawat hamesha sahi nahi hoti..bhains uske malik ki bhi ho sakti hai.
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