मधेपुरा चुनाव डायरी (7): 40 साल में जो सम्मान कहीं नहीं मिला भाजपा ने 3 दिनों में दिया, अंतिम सांस तक दूंगा साथ: विजय कुमार कुशवाहा, भाजपा प्रत्याशी
|वि० सं०|14 मार्च 2014|
मधेपुरा से बहुप्रतीक्षित भाजपा प्रत्याशी की घोषणा
के साथ ही मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय संघर्ष का स्वरुप सामने आ गया है.
स्पष्ट है कि संघर्ष जदयू के प्रत्याशी शरद यादव, भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार
कुशवाहा और राजद प्रत्याशी पप्पू यादव के बीच होने की सम्भावना है. वोटर के मन में
क्या है ये तो चुनाव परिणाम ही बताएँगे पर आगामी 30 अप्रैल को मधेपुरा लोकसभा
क्षेत्र के लिए कोने वाले चुनाव के मद्देनजर अगले दो-चार दिनों के बाद इलाके में
चुनावी हलचल तेज हो जाने की उम्मीद है.
जानिए भाजपा प्रत्याशी विजय
कुमार कुशवाहा को:
 विजय कुमार कुशवाहा 40 साल से राजनीति में हैं.
इन्होने भ्रष्टाचार के खिलाफ देश की दूसरी आजादी की लड़ाई 1974 के जयप्रकाश आंदोलन
में सक्रिय भूमिका निभाई. कोशी कॉलेज खगड़िया में 1974 में छात्र संघ का अध्यक्ष और
छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष के पद पर रहे. 1974 के आंदोलन के दौरान मीसा
(मेन्टेनेन्स ऑफ इंटरनल सिक्यूरिटी) एक्ट के तहत इन्हें खगड़िया,बांकीपुर और बक्सर
जेल में भी रहना पड़ा. जेल से निकल कर युवा जनता के अध्यक्ष रहे और फिर युवा लोक दल
के अध्यक्ष पद का भी भार मिला. मधेपुरा टाइम्स से बातचीत में विजय कुमार कुशवाहा
अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए कहते हैं कि 1996 में भाजपा-समता के गठबंधन के
साथ रहा. पर हाल में जदयू और भाजपा के गठबंधन टूटने का दर्द मन में था. जिन बड़े
पदों पर रहा या जिनके साथ रहा, पूरी ईमानदारी से रहा. बिहार में नरेंद्र मोदी की
थाली छीन ली गई. बिहार में लोग दुश्मन को भी बैठने की जगह देते हैं. उस समय लगा कि
ये अन्याय हुआ है. श्री कुशवाहा कहते हैं कि नीतीश कुमार ने जब गठबन्धन तोडा, एक
भी नेता को विश्वास में नहीं लिया.
विजय कुमार कुशवाहा 40 साल से राजनीति में हैं.
इन्होने भ्रष्टाचार के खिलाफ देश की दूसरी आजादी की लड़ाई 1974 के जयप्रकाश आंदोलन
में सक्रिय भूमिका निभाई. कोशी कॉलेज खगड़िया में 1974 में छात्र संघ का अध्यक्ष और
छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष के पद पर रहे. 1974 के आंदोलन के दौरान मीसा
(मेन्टेनेन्स ऑफ इंटरनल सिक्यूरिटी) एक्ट के तहत इन्हें खगड़िया,बांकीपुर और बक्सर
जेल में भी रहना पड़ा. जेल से निकल कर युवा जनता के अध्यक्ष रहे और फिर युवा लोक दल
के अध्यक्ष पद का भी भार मिला. मधेपुरा टाइम्स से बातचीत में विजय कुमार कुशवाहा
अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए कहते हैं कि 1996 में भाजपा-समता के गठबंधन के
साथ रहा. पर हाल में जदयू और भाजपा के गठबंधन टूटने का दर्द मन में था. जिन बड़े
पदों पर रहा या जिनके साथ रहा, पूरी ईमानदारी से रहा. बिहार में नरेंद्र मोदी की
थाली छीन ली गई. बिहार में लोग दुश्मन को भी बैठने की जगह देते हैं. उस समय लगा कि
ये अन्याय हुआ है. श्री कुशवाहा कहते हैं कि नीतीश कुमार ने जब गठबन्धन तोडा, एक
भी नेता को विश्वास में नहीं लिया.
      भाजपा
प्रत्याशी विजय कुमार कुशवाहा कहते हैं कि जबतक सांस रहेगी भाजपा के लिए काम करता
रहूँगा. अपने को मैं कार्यकर्ता से अधिक नहीं मानता हूँ. कार्यकर्ता था, हूँ और कार्यकर्ता
ही रहूँगा, जीत-हार तो जनता पर निर्भर है. जीतने के बाद भी मैं एक कार्यकर्ता की
तरह ही जनता की सेवा करता रहूँगा. हमें किसी पद का लोभ नहीं है, ऐसा होता तो जदयू
की मंत्री रेणु कुशवाहा ने चंद मिनटों ने मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दे देती. 40
साल में जो सम्मान किसी ने नहीं दिया, भाजपा ने 3 दिनों में दिया. इसे मैं कभी
नहीं भूल सकता, बीजेपी के लिए जान भी देने को तैयार हूं. नरेंद्र मोदी देश की
पुकार है. 
मधेपुरा चुनाव डायरी (7): 40 साल में जो सम्मान कहीं नहीं मिला भाजपा ने 3 दिनों में दिया, अंतिम सांस तक दूंगा साथ: विजय कुमार कुशवाहा, भाजपा प्रत्याशी  
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