ये एक अद्भुत क्षण था. वर्ष 2008 की कुसहा विडंबना
से बर्बाद हुए मुरलीगंज के लोगों के जख्म को हरा छोड़ने में राजनीतिक दल के नेताओं
ने कोई कसर बाक़ी नहीं रखी थी. ये तो मुरलीगंज की जनता का जुझारूपन कहिये कि आज
पांच साल के बाद मुरलीगंज से पहली बार मधेपुरा के लिए ट्रेन ने सीटी बजाई. मौके पर आये रेल
पदाधिकारी दिलीप कुमार ने साफ़ शब्दों में कहा कि ये मुरलीगंज की जनता है जिनकी वजह
से आज ट्रेन चल सकी है.
      बीती
रात ही रेल अधिकारी ट्रेन लेकर मुरलीगंज स्टेशन पहुँच चुके थे. दो बार आमरण अनशन
और दर्जनों बार आंदोलन कर चुके रेल संघर्ष समिति और स्थानीय पीडितों ने रतजगा कर
खुलती ट्रेन को देखने प्लेटफॉर्म पर ही जमा थे. हरी झंडी दिखाने से पहले लोगों ने
ढोलकों और नगाड़ों की थाप पर जमकर नाचा और 
पटाखों की शोर से इलाका गूँज गया. ट्रेन
खुलने के समय कुछ लोगों की आँखों में खुशी के आंसू साफ़ दिख रहे थे.
पटाखों की शोर से इलाका गूँज गया. ट्रेन
खुलने के समय कुछ लोगों की आँखों में खुशी के आंसू साफ़ दिख रहे थे.
      लाश पर
भी राजनीति करने में मशहूर भारत का एक और काला चेहरा यहाँ भी दिखा. 
नेतागिरी करने
पहुँच गए कुछ नेता और अपना बैनर सजाने की ताक में थे, मानो उन्हीं नेताओं के आमरण
अनशन करने से ट्रेन चली हो. पर पांच साल दर्द महसूस कर चुके लोगों ने उन्हें बैनर
सजा कर झूठा श्रेय लेने को मना कर दिया.
नेतागिरी करने
पहुँच गए कुछ नेता और अपना बैनर सजाने की ताक में थे, मानो उन्हीं नेताओं के आमरण
अनशन करने से ट्रेन चली हो. पर पांच साल दर्द महसूस कर चुके लोगों ने उन्हें बैनर
सजा कर झूठा श्रेय लेने को मना कर दिया.
स्मरणीय है इन लोगों का योगदान: मुरलीगंज रेल संघर्ष
समिति के बाबा दिनेश मिश्र, विजय कुमार यादव, संजय सुमन, विकास आनन्द, डिम्पल
पासवान, प्रशांत यादव, श्याम आनंद, बिनोद बाफना, रामजी साह, ब्रह्मानंद जायसवाल,
इंदरचंद बोथरा, मनोज यादव मुखिया, रूपेश कुमार गुलटेन, राजीव यादव, प्रमोद कुमार, नागेन्द्र प्रसाद यादव, सुशील साह, मनोज भगत,
उपेन्द्र आनंद, रामचंद्र राय, वार्ड पार्षद ललिता आनंद, वार्ड पार्षद पूनम देवी,
वार्ड पार्षद पुष्पा मिश्रा, रवीन्द्र भगत, गौतम यादव, मनोज सोमानी, प्रभात कुमार
सुमन, पिंटू चौधरी, राजेश शर्मा, सुनील अग्रवाल, बबलू शर्मा, चन्दन रस्तोगी, श्रवण
तोसनीवाल, नंदू सोनी, हरिओम अग्रवाल तथा अन्य दर्जनों आंदोलनकारी. स्थानीय लोगों
का कहना है कि ट्रेन परिचालन के लिए किये गए संघर्ष में इन लोगों का योगदान इलाके
की जनता कभी नहीं भूल सकती है.
[Rail restarted from Murliganj to Madhepura] 
ढोल-नगाड़ों की थाप पर छुक-छुक चली 5 साल बाद ट्रेन: खुशी की लहर 
 
        Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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December 10, 2013
 
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