|वि० सं०|01 दिसंबर 2013|
चुनाव का मौसम आने को है. नेता जी हरकत में आ गए है.
अपनी क्षमता पर तो संदेह सदा से रही (चूंकि है ही नहीं), अपनी लोकप्रियता भी कहीं
नहीं देख रहे हैं. और फिर अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के उपाय में सबसे अच्छा उपाय नेता
जी ने ढूंढ लिया है और कमोबेश कारगर भी हो रहा है.
मधेपुरा
में इन दिनों पत्रकारों को मुर्गा खिलाने और दारू पिलाने का प्रचलन बढ़ गया है. इन
दिनों हर सप्ताह कोई न कोई नेता पार्टी रख रहा है और पत्रकारों को निमंत्रण दे डालते
हैं. मधेपुरा में कई पत्रकार हैं जो नॉनवेज खाने के लालच पर कंट्रोल नहीं कर पाते
हैं. पहुँच जाते हैं नेता जी के घर. मन में ये बात भी रहती है कि शायद लास्ट में
दो-चार सौ रूपये नेताजी जेब में घुसेड़ दे. पर नेता जी हैं कि सिर्फ मुर्गा पर ही
काम चलाना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें तो किसी ने सलाह दी थी कि सौ-पचास रूपया खर्च
कीजियेगा तो कुछ भी छाप देगा.
पिछले
सप्ताह की ही तो बात है, एक नेता ने पत्रकारों को ‘बढ़िया’ मछली का निमंत्रण दे डाला. ‘श्रीमानों’ की फ़ौज मछली खाने पहुंची, पर नेताजी ने सिर्फ दो-दो पीस
मछलियाँ ही परोसी और उसके बाद पूछते रहे, ‘रस लीजियेगा क्या ? थोड़ा चावल और लीजिए.’ खाने के बाद पत्रकारों ने अभी
ठीक से हाथ भी नहीं पोछा था कि नेता जी ने खबर छापने की विज्ञप्ति पकड़ा दी. पत्रकार
सन्न. पर नेताजी ने शायद सही रेट लगाया था.
पर हर
जगह बात ऐसी ही नहीं है. कुछ ‘बड़े’ टाइप के पत्रकार मुर्गा और दारू सुतार लेते हैं.
हाल में एक-दो पत्रकारों ने तो नेताजी को मुंगेरीलाल के हसीं सपने दिखाकर मोबाइल
तक ले लिया. चौथे स्तंभ के दरकने का गवाह बन रहा है मधेपुरा.
दारू-मुर्गा पर खबर छाप रहे: नेता-पत्रकार बना रहे एक-दूजे को मुर्गा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 01, 2013
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