|वि० सं०|10 अक्टूबर 2013|
सूबे में बढ़ते अफसरशाही, पंचायती राज में
जनप्रतिनिधि के गिरते सम्मान और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के ह्रास के विरोध में
उदाकिशुनगंज प्रमुख प्रमोद महतो ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. श्री महतो ने
यह इस्तीफा न्यायालय के उस आदेश के आलोक में नैतिक रूप से दिया है जिसमें
उदाकिशुनगंज में उनके खिलाफ पूर्व में लाये गए अविश्वास प्रस्ताव की बैठक को उच्च
न्यायालय के द्वारा अधूरा मानते हुए आगामी 21 अक्टूबर को फिर से अविश्वास प्रस्ताव
पर सदस्यों की बैठक रखने का आदेश दिया गया है.
उदाकिशुनगंज
प्रमुख प्रमोद महतो ने मधेपुरा टाइम्स को बताया कि पूर्व के उनके खिलाफ लाये गए
अविश्वास प्रस्ताव के लिए हुई बैठक में कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया था और इस
सम्बन्ध में राज्य के प्रधान सचिव की स्पष्ट चिट्ठी आई थी कि किसी भी कारण से
अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं होने पर प्रमुख अपने पद पर बने रहेंगे और एक वर्ष
बाद ही फिर कोई अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा. पर न्यायालय ने इसके विपरीत अपना
फैसला दिया है और वे इसका बढ़ कर सम्मान करते हुए इस्तीफ़ा ही दे रहे हैं.
न्यायालय
के फैसले पर टिप्पणी करते हुए श्री महतो ने कहा कि न्यायालय में कम्प्यूटर या
रोबोट नहीं है जो सच्चाई को देख सके. वहां मनुष्य ही निर्णय देते हैं और मनुष्य
संवेदनशील होता है और उससे अच्छा-बुरा हो सकता है.
एसडीओ
को सौंपे इस्तीफ़ा के मंजूर होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग उदाकिशुनगंज के प्रमुख
पद के फिर से चुनाव की कोई तिथि निर्धारित कर सकती है. श्री महतो ने दावा कि जब
फिर से प्रमुख पद का चुनाव होगा तो वे ही जीत कर आयेंगे और विरोधियों को मुंह की
खानी पड़ेगी.
बढ़ते अफसरशाही से तंग उदाकिशुनगंज प्रमुख ने सौंपा इस्तीफ़ा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 10, 2013
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