कैसे हो मधेपुरा पुलिस बेहतर, जब रहते हों खानाबदोश की तरह

|आर.एन.यादव|24|9|2013|
हाल में ही दरभंगा प्रक्षेत्र के आई.जी. जी.एस. गंगवार ने तो ये बात कह दी थी कि पुलिस में बल की कमी को मनोबल से पूरा करेंगे, पर कैसे बढ़ेगा मधेपुरा पुलिस का मनोबल, जब वे भिखारियों की तरह रहने को मजबूर हों.
      मधेपुरा के सिंहेश्वर स्थित पुलिस लाइन की हालत दिनोंदिन बदतर ही होती जा रही है. यहाँ जिले भर के पुलिस रहते हैं. यदि सच कहा जाय तो पुलिस लाइन जानवरों के रहने लायक भी नहीं है. सैंकड़ों पुलिस के जवान जिनपर जिले की सुरक्षा का भार होता है, बिना घेरा के एक ही जगह अपनी विछावनें बिछा कर सोते हैं. भवन की दीवारों की हालत तो जर्जर है ही, शौचालय भी बदहाल है. खानाबदोश की तरह रहने को मजबूर मधेपुरा पुलिस के पास फिलहाल कोई दूसरा उपाय नजर नहीं आता. यही नहीं यहाँ रहने वाले पुलिसों को कुछ खतरनाक किस्म के जानवरों का खौफ भी सताता रहता है.
      पुलिस लाइन में अध्यक्ष राम इकबाल सिंह कहते हैं कि यहाँ न तो रहने की व्यवस्था है और न ही खाने की. गंदगी से निजात दिलाने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है. इस सम्बन्ध में वे कई बार जिलाधिकारी से मिल चुके हैं, पर आश्वासनों के अलावे और कुछ नहीं मिल सका. श्री सिंह आगे कहते हैं कि यहाँ पुलिस के साथ कभी भी कुछ हो सकता है.
      हालांकि मधेपुरा के एसपी सौरभ कुमार शाह उम्मीद जताते हैं कि पुलिस लाइन के लिए जमीन आबंटन का काम पूरा होने वाला है और उसके बाद जल्द ही नए भवन के निर्माण की प्रक्रिया भी पूरी होगी.
कैसे हो मधेपुरा पुलिस बेहतर, जब रहते हों खानाबदोश की तरह कैसे हो मधेपुरा पुलिस बेहतर, जब रहते हों खानाबदोश की तरह Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 24, 2013 Rating: 5

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