|राजीव रंजन|21 सितम्बर 2013|
मधेपुरा टाइम्स पर 4 सितम्बर को छपी खबर ‘कौन है ये
महिला, पागल या खतरे की घंटी ?’ पर फ़ौरन संज्ञान लेते हुए मधेपुरा पुलिस ने महिला को
अल्पावास गृह तो भेज दिया, पर इस महिला ने मधेपुरा अल्पावास गृह की सुरक्षा पर
सवालिया निशान लगा दिया. गुरुवार की रात फूलमाया (अल्पावास गृह के द्वारा इस महिला
का रखा गया नाम) अल्पावास गृह से गायब हो गई. बताया गया कि छत से कूदकर फूलमाया
भागी थी. पर मधेपुरा सदर थानाध्यक्ष सह इन्स्पेक्टर बी.एन.मेहता ने इस घटना को फिर
से गंभीरता से लिया और निर्देश पर कमांडो विपिन कुमार ने कुछ ही घंटे में फूलमाया
को जिला मुख्यालय के माया विद्या निकेतन के पास से बरामद कर पुन: अल्पावास के
हवाले कर दिया. मामला फिलहाल तो सुलझ गया पर छोड़ गया अल्पावास गृह पर एक बड़ा
सवालिया निशान.
पहले भी भाग चुकी है लड़कियां: बताते हैं कि इस अल्पावास सबसे पहले संगीता भागी
थी. कहा
जाता है कि संगीता स्टेडियम के पास चार लफंगों के साथ बोलेरो से आई थी
जिसे जीजा ने फुसला कर लाया था. एक लड़के के साथ पकड़ी गई थी, बाकी भाग गए थे.
सुनीता अल्पावास गृह से रात में सीढ़ी के शेड को हटाकर भाग गई थी. भागने के क्रम को
आगे बढ़ाते हुए उसके बाद अल्पावास गृह से माधुरी भागी थी और स्वयं सुबह सात बजे आ
गई थी. और अब फूल माया प्रकरण.
सुरक्षित नहीं है अल्पावास गृह: इन घटनाओं को हलके तौर
से लेना मुनासिब नहीं दीख पड़ता है. अल्पावास गृह में महिलायें और लड़कियों को रखा
जाता है और ये महिला सुरक्षा से जुड़ा मामला है. यदि मधेपुरा अल्पावास गृह की
वार्डेन अंजू की मानें तो भागने की सभी घटनाओं में छत की शेड को हटाकर ही लड़कियाँ
भागी है. सवाल यह है कि एक बार की चूक के बाद क्यों नहीं छत की शेड को मजबूत किया
गया है और जब वहाँ नाईटगार्ड की व्यवस्था है तो फिर क्यों गायब होती हैं लड़कियां ?
सवाल कई हैं और इनका जवाब और समाधान भी शीघ्र ढूँढने की जरूरत है ताकि इस असुरक्षा
की वजह से कहीं कोई इतनी बड़ी घटना न घटित हो जाय जो सूबे को हिलाकर रख दे.
अल्पावास से भागी महिला बरामद: सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 21, 2013
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