मधेपुरा होटल का कमरा नं. 5. कमरे के अंदर शिवशक्ति बायोटेक्नोलॉजीज के बैनर तले कुछ अधिकारी बैठे हैं और बाहर नौकरी पाने वालों की
लाइन लगी है. खुद को असिस्टेंट ब्रांच मैनेजर कहने वाले एक व्यक्ति जो अपना नाम ओम
प्रकाश ओम बताते हैं, ने नौकरी पाने के इच्छुक छात्रों से ऑरिजनल सर्टिफिकेट लेना
शुरू कर दिया और उन्हें बाद में किसी निर्धारित जगह चयन के लिए आने को कहा.
मधेपुरा
टाइम्स कार्यालय को इस सम्बन्ध में एक फोन आया कि “सर ! यहाँ कुछ गडबड लग रहा है, ये लोग ऑरिजिनल सर्टिफिकेट
क्यों मांग रहे है ?”
मधेपुरा टाइम्स टीम तुरंत मधेपुरा होटल पहुँचती है और नौकरी देने वाले महानुभावों
से पूछताछ शुरू करती है. कोई संतोषप्रद जवाब नहीं, पर ऑरिजिनल सर्टिफिकेट लेने के
नाम पर माफी मांगते हैं कि गलती हो गई, ऑरिजिनल सर्टिफिकेट नहीं लेना है, कहकर लिए
लोगों के ऑरिजिनल सर्टिफिकेट वापस कर देते हैं.
नौकरी
किसे मिलेगी, किसे नहीं, सबकुछ कन्फ्यूजिंग था. अब आगे देखना है कि क्या होता है
इस मामले में ?
सॉफ्ट टारगेट है मधेपुरा: मधेपुरा जैसे कस्बाई
शहर (सब-अरबन सिटी) रहते हैं ठगों के निशाने पर. कारण साफ़ है, यहाँ के बहुत सारे
लोग सोच से शहरी हैं या देहाती, उन्हें खुद कन्फ्यूजन है. सभी शॉर्टकट से ही आगे
बढ़ना चाहता है. खुद की मिहनत पर भरोसा नहीं होने की वजह से वे हमेशा किसी मसीहा की
आस में रहते हैं जो उन्हें अचानक से चोटी पर पहुंचा दे. जबकि अधिकाँश मामले में
मसीहा दिखने वाला व्यक्ति खुद ही संदेह के घेरे में रहता है. कहीं भी नौकरी की बात
उठी, या कोई कार्यक्रम हुए, भेड़ की तरह टूट पड़ते हैं बिना यह पड़ताल किये कि सामने
वाला व्यक्ति वास्तव में सही है या फिर उन्हें चूना लगाने के षड्यंत्र के साथ बैठा
है. ऐसे में ठगे जाने पर रोने के अलावे उनके पास कुछ नहीं बचता है.
क्या नौकरी देने के नाम पर यहाँ चल रहा गडबडझाला ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 21, 2013
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