|वि० सं०|29 अगस्त 2013|
दो अलग-अलग परिवाद पत्रों को लेकर मधेपुरा के सीजेएम
कोर्ट ने गम्हरिया थानाध्यक्ष वकील प्रसाद यादव और शंकरपुर के पूर्व थानाध्यक्ष
प्रकाश झा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं में संज्ञान ले लिया है. संज्ञान
के पश्चात दोनों परिवाद पत्रों को न्यायिक दंडाधिकारियों के कोर्ट में अगली
कार्यवाही के लिए स्थानान्तरित कर दिया गया है.
गम्हरिया
थानाध्यक्ष से जुड़ा मामला गत 25 मई की घटना से सम्बंधित है जिसमें पीड़िता मंजू
देवी ने कोर्ट में इस आशय का परिवाद पत्र दायर किया था कि बलात्कार के एक मामले
में जब पीड़िता थानाध्यक्ष के पास गई तो थानाध्यक्ष वकील प्रसाद यादव ने पीड़िता के
हाथ से केस सम्बंधित कागज़ छीनकर उसे धक्का दे दिया जिससे वह गिर गई. वैसे तो
पीड़िता ने हरिजन अत्याचार समेत कई अन्य धाराओं में संज्ञान लेने की प्रार्थना की
थी, पर न्यायालय ने जांचोपरांत इसे प्रथम द्रष्टया डांटने और धक्का देने का ही
मामला पाया.
दूसरा
मामला शंकरपुर थाना के नजदीक फोटोस्टेट की दूकान चलाने वाले सुरेश कुमार पंडित द्वारा
शंकरपुर के पूर्व थानाध्यक्ष प्रकाश झा पर कर्ज लेकर नहीं लौटाने और लिए कर्ज को
रंगदारी बता पीड़ित को जेल में डाल देने की धमकी से सम्बंधित परिवाद को लेकर है.
दोनों
पुलिस पदाधिकारियों को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए नोटिस निर्गत करने का
आदेश हुआ है.
एफआईआर की हुई थी अफवाह: इससे पूर्व एक दैनिक
अखबार में इन पुलिस पदाधिकारियों के विरूद्ध न्यायालय द्वारा एफआईआर के आदेश की
झूठी खबर प्रकाशित हो जाने से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी. ऐसा लगता है कि
सम्बंधित पत्रकार को ‘संज्ञान’ लेने और ‘एफआईआर’ दर्ज करने के न्यायालय के
आदेशों का फर्क पता नहीं था.
जो भी
हो, इस दोनों पदाधिकारियों पर न्यायालय द्वारा संज्ञान लेने से फिलहाल इनकी
मुसीबतें बढ़ गई हैं.
गम्हरिया और पूर्व शंकरपुर थानाध्यक्ष पर कोर्ट का संज्ञान
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 29, 2013
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