|रणजीत राजपूत, सहरसा |17 जुलाई 2013|
अपने संसदीय क्षेत्र के सात दिनों के भ्रमण के बाद पटना वापस लौटने के क्रम में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह
मधेपुरा के सांसद शरद यादव हाल ही के दिनों में इलाहबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों पर टिप्पणी दी. जब मीडिया ने इनसे इलाहाबाद हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के कुछ अहम फैसलों, जातीय सम्मलेन पर रोक और
दो वर्षों तक जेल में रहने वाले राजनीतिज्ञ को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने के फैसले एवं यूपी हाई कोर्ट
द्वारा जातीय
सम्मलेन पर रोक लगाने के फैसले के बाबत जब मीडिया ने पूछा तो शरद ने अपने अंदाज में कहा कि
जो फैसला सरकार और पार्लियामेंट को लेनी चाहिए अब कोर्ट
ले रही है. शरद के इस तरह के बयान से आम
जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा शायद ये शरद जी को अंदाजा नहीं है.
जहाँ
नेताओं ने देश का बेड़ा गर्क करने में कोईई कसर बाक़ी नहीं रखी है वहां यदि सरकार और
संसद को ऐसे मुद्दों पर नियम बनाने की शक्ति दे दी जाय तो वो दिन दूर नहीं जब
एन.डी.तिवारी देश के राष्ट्रपति होंगे और राघव जी प्रधानमंत्री.
न्यायालय का आदेश शरद की नजर में अव्यावहारिक
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 17, 2013
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