चारों तरफ रोने और चीखने की आवाज. बेटों की लाश
देखकर अथाह दर्द फूट पड़ा. आलमनगर के खावन पंडित जी बासा में नाव पलटने से दस लोगों
की मौत के बाद किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था. पोस्टमार्टम के बाद जब लाशों को
उनके परिजनों को सौंपा गया तो फिर कलेजे
के टुकड़े को छाती से लगाकर माओं का क्रंदन
शुरू हो गया. वो कलेजे के टुकड़े जिनकी जिंदगी की रफ़्तार पिछली रात के भयानक हादसे
में थम गई थी.

लाशों
को जलाने के लिए भी एक जगह ही जमा किया गया. गड्ढे बनाकर सभी लाशों को उसमें लिटाया
और बिठाया गया. उजले कपड़ों में बच्चों की लाशें किसी कठोर ह्रदय को भी पिघलाने के लिए
काफी थी. चिताएं जल उठी और साथ साथ जल गई कई घरों के अरमान जो कल अपने माँ-बाप का सहारा
बनते.
[लाश पर
नेताजी की राजनीति, जल्द ही]
दस की चिता जली एक साथ: पसर गया दर्द
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 13, 2013
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