“मुझे चाहिए अपने पति की लंबी उम्र”

|ए.सं.|09 जून 2013|
भला है बुरा है जैसा भी है, मेरा पति मेरा देवता है.
समय जितना भी बदल जाय पर महिलाओं को आज भी अपने पति की उतनी ही चिंता है जितना सदियों पहले हुआ करती थी. खासकर धर्म में आस्था रखने वाली महिलायें आज भी अपने पतियों को भगवान जैसा दर्जा देती है.
     हिन्दू महिलाओं के महापर्व बट-सावित्री के अवसर पर विभिन्न जगह उमड़ी महिलाओं की भीड़ में से कई महिलाओं ने इस बात को माना कि पति और बच्चों के स्वास्थ्य और आयु से सामने उनके लिए कोई और सुख सुविधाएँ बेमानी है.
      सावित्री और सत्यवान की कहानी को याद करते हुए महिलाओं की भीड़ शनिवार को जिले के विभिन्न मंदिरों और बट-वृक्षों के पास पूजा के लिए जमा हुई. पूजा कर महिलाओं ने अपने पति की उम्र बरगद के वृक्ष के समान लंबी चाही.
      जिला मुख्यालय के बड़ी महावीर मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस अवसर पर सुबह से ही महिलाओं की भारी भीड़ मंदिर में स्थित बरगद के वृक्ष की पूजा करने जमा हुई. उन्होंने यह भी बताया कि विवाह के बाद पहले साल महिलाओं के लिए इस पर्व का कुछ अधिक ही महत्त्व है और इसमें महिलाओं को पूजा करने के लिए सामान ससुराल से आता है. इस दिन पत्नियाँ पूजा कर पति के पैर छू कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं.
      हालाँकि आधुनिकता के चस्के में जी रही कई औरतों के लिए इस पर्व का कोई खास महत्त्व नहीं है और वे इसे पुरानी रिवाज कहकर नजरअंदाज कर दे रही हैं.
“मुझे चाहिए अपने पति की लंबी उम्र” “मुझे चाहिए अपने पति की लंबी उम्र” Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 09, 2013 Rating: 5

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