मौसम का मिजाज क्या बदला सुपौल जिले में मानो इश्क
की हवा चल पडी है. पड़ोसी जिले दरभंगा और समस्तीपुर में मेनिन्जाइटिस ने दस्तक दी
है तो सुपौल में लवेरिया से लोग पीड़ित हैं. खास बात यह है कि इश्क के तेज झोंके
में उम्र, जाति और धर्म की दीवार भी दरकती नजर आ रही है.
हम भी
जब आशिकी के दौर से गुजर रहे थे तो अपने कृत्य (कुकृत्य) को तार्किक रूप देने के
लिए अक्सर गुनगुनाते थे कि “ना उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन, जब प्यार करे
कोई तो देखे केवल मन”. जिले
में हालिया घटित दो घटनाओं पर नजर डालें तो स्पष्ट हो जाता है कि हम भले ही ‘इश्क कमीना’ से तौबा कर पत्नी धर्म का
ईमानदारीपूर्वक निर्वाह कर रहे हों, लेकिन लैला-मजनू, सोनी-महिवाल, मटुकनाथ-जूली
जैसी कालांतर में कई ऐसी जोडियाँ रही है जो इस फलसफे में विश्वास करती है कि “इश्क बिना क्या जीना यारों, इश्क
बिना क्या मरना ”. अब
इस श्रेणी में फेकनी-मो० इस्लाम तथा कलिया-बेचन जैसी सख्शियतें जुड़ चुकी हैं
आइये
मिलते हैं फेकनी-मो० इस्लाम की हिट जोड़ी से जो फिलवक्त सुपौल मंडल कारा पहुँच
चुकी
है. सरायगढ़ प्रखंड के नोनपार निवासी फेकनी (35 वर्ष) दो वर्ष पूर्व विधवा हुई और
एक बच्चे की माँ है. वैधव्य जीवन बिता रही फेकनी को जब जालिम ज़माने की कमबख्त
नजरें परेशान करने लगी तो सहारे की जरूरत महसूस हुई. अनायास बीमार हुई तो दिल्ली
में मजदूरी करने वाले गाँव के ही मो० इस्लाम (45 वर्ष) फ़रिश्ते की तरह हाजिर हुए.
मो० इस्लाम पांच बच्चे का बाप है. बीमारी की हालत में मो० इस्लाम ने फेकनी की
सेवा-सुश्रुषा में कोई कसर नहीं छोड़ी. यही फेकनी और इस्लाम के लाइफ का टर्निंग
प्वाइंट था. जाहिर है फणीश्वरनाथ रेनू जैसे पढ़े-लिखे विद्वान जब ना नहीं कह सके तो
फेकनी की क्या बिसात ?
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फेकनी-इस्लाम: छोड़ेंगे न हम तेरा साथ |
उसके
बाद फेकनी-इस्लाम का प्यार परवान चढ़ने लगा तो दूसरी तरफ गाँव वालों का प्यार पर
पहरा भी बढ़ने लगा. वो अपने महेश भट्ट की बेटी पूजा भट्ट की फिल्म का गाना है “जब-जब प्यार पर पहरा हुआ है,
प्यार और भी गहरा गहरा हुआ है”. वही हुआ और एक दिन फेकनी इस्लाम के साथ जालिम दुनियां से
दूर आशियाना बनाने की चाह में फरार हो गए. लेकिन बदकिस्मती यह रही कि परिवार के
लोगों ने मुकदमा दर्ज कर दिया तो निगोड़ी सुपौल पुलिस ने उन्हें जेल के दरवाजे तक
पहुंचा दिया. फेकनी की मासूम दलील सुनिए “कौन किसके लिए मरता है, मो० इस्लाम ने डूबती नैया को साहिल
तक पहुंचाया है”.
वहीं मो० इस्लाम कहते हैं कि “फेकनी की गुजारिश को मैं ठुकरा नहीं सका उसे मेरी जरूरत है”. यही स्टोरी का क्लाइमेक्स है.
कौन गुनाहगार और कौन फरिश्ता, तय आप पाठकों को करना है.
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कालिया-शंकर: प्यार प्यार न रहा (सभी फोटो:ब्रह्मानंद सिंह) |
दूसरी
हिट जोड़ी कलिया-बेचन की है. कलिया देवी 60 बसंत पार कर चुकी है. लेकिन इश्क का
मशाल थामे हुई है. छातापुर के राजेश्वरी निवासी कलिया के पति उपेन्द्र यादव की मौत
दस वर्ष पहले हुई तो उसने पीएचईडी कर्मी शंकर ठाकुर से शादी रचा ली. शादी भले ही
रचा ली, लेकिन सम्पूर्ण प्यार की तलाश में कलिया का दिल धड़कता रहा.
इस बीच
राघोपुर के ईटवा के बेचन साह (65 वर्ष) से कलिया देवी की मुलाक़ात हुई. बेचन साह
कभी इलाके में मशहूर बाबा के रूप में जाने जाते थे जहाँ सैंकड़ों नर-नारियाँ
प्रतिदिन अपनी समस्या के समाधान के लिए पहुँचते थे. जटाधारी बाबा बेचन स्वामी की
उस समय पोल खुल गई जब गाँव के ही एक महिला के साथ इश्क लड़ते हुए केले के खेत में
पकड़े गए. गाँव से निष्काषित हुए और गाँव के बाहर एक मिठाई की दूकान खोल बैठे. इसी
दूकान पर कलिया से मुलाक़ात के बाद दिल हार बैठे और यह “सीनियर सिटीजन जोड़ी” प्यार को मुकाम तक पहुँचाने के
लिए रफूचक्कर हो लिए. लेकिन एन वक्त पर पुलिस की इंट्री हुई और पंछी बिछड़ गए मिलने
से पहले. अब इस प्यार को क्या नाम दें, फैसला आप दिलजलों को करना है.
...चली-चली इश्क की हवा चली
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 07, 2013
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