वेलेंटाइन डे पर मातृ-पितृ पूजन पश्चिमी सभ्यता में बहे युवा को सीख

 (15 फरवरी 2013)
मधेपुरा में 14 फरवरी को आयोजित मातृ-पितृ पूजन दरअसल वैसे मानसिकता से ग्रस्त युवाओं के लिए एक सीख थी, जो अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करते हैं और उनपर पश्चिमी सभ्यता इस कदर हावी हो गया है कि वे अपनी गौरवमयी सभ्यता को भूलते जा रहे हैं. जिला मुख्यालय के टीपी कॉलेज में आयोजित मातृ-पितृ पूजन दिवस उमड़ी भीड़ और भावुकता इस कदर हावी रहा कि कई लोग अपने माता-पिता को याद कर रोने लगे. कार्यक्रम में उपस्थित युवा और बच्चों ने पहले वैदिक रीति-रिवाज से अपने माता-पिता की पूजा कर उनके पैर छूए. माता-पिता ने बच्चों को जीवन में सदा आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिया.
      इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि किसी मनुष्य के जीवन में माँ के आँचल और पिता की छाया का योगदान सबसे बढ़कर है. यही एक ऐसा सम्बन्ध होता है जो स्वार्थ से परे होता है. बच्चों का हर दुःख मान-बाप को अपना दुःख लगता है. और यदि इसके बाद भी बच्चे अपने माँ-बाप को भूल जाते हैं तो ये उनका दुर्भाग्य है. मान-बाप हर परिस्थिति में पूजनीय हैं. संत श्री आशाराम बापू सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में समिति के संरक्षक डी. के. चौधरी, मुख्य अतिथि कुशेश्वर प्रसाद यादव, विशिष्ट अतिथि जवाहर पासवान, उदय नारायण, वीणा देवी, सेवा समिति के प्रवीण कुमार, राजेश कुमार, इंगलेश, अविनाश, आलोक, अंशु कुमारी, लवली कुमारी, रूपम कुमारी, अंजलि, ज्योति आदि उपस्थित थे. जबकि मंच संचालक के.के.भारती तथा धन्यवाद ज्ञापन राहुल कुमार ने किया.
(ए.सं.)
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