‘बेढंग फैशन देता है छेड़खानी को बढ़ावा’-एलिस

वि० सं०/03/01/2013
देश में बढ़ते छेड़खानी तथा महिलाओं से सम्बंधित अन्य अत्याचार पर आज सबकी चिंता है. कुछ लोग जब इसके लिए लड़कियों के पहनावे को जिम्मेवार बताते हैं तो महिलाओं की तरफ से ये आवाज उठाकर उनके मुंह बंद करने की कोशिस की जाती है कि सोच बदल कपड़े नहीं. पर ये बात लगभग तय है कि महिलाओं के बेढंगे कपड़े भी छेड़खानी को बढ़ावा देने में जिम्मेवार हैं.
            मधेपुरा के मुरलीगंज की फैशन टेक्नोलॉजी की पढ़ाई कर रही छात्रा एलिस का भी कुछ ऐसा ही मानना है. जिले की पहली छात्रा जिसने निफ्ट (नेशनल स्कूल ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी) की परीक्षा पास कर दिखाई और फिलहाल चेन्नई में अध्ययन कर रही एलिस कहती है कि छेड़खानी ज्यादातर गाँव-देहात के क्षेत्रों में होती है. वहां लड़कियां फैशन जानती नहीं है. क्या पहनना चाहिए उसे पता नहीं होता है. उनके द्वारा किये गए फैशन बेढंग लगते हैं और इसे देख उस मानसिकता के लड़के छेड़खानी को अंजाम देते हैं. लड़कियों को ऐसे फैशन करने चाहिए जो उसपर सूट करे उसे ये नहीं देखना चाहिए कि दूसरा क्या कर रहा है.
 (फैशन सम्बंधित विभिन्न मुद्दों पर एलिस को और भी आगे सुनें सिर्फ मधेपुरा टाइम्स पर)
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4 comments:

  1. एलिस बहुत ही अच्छे मुकाम के रास्ते पर हैं ...उम्मीद हैं ये अपनी जिला का नाम और रौशन करेगी.... मगर मैं इनके आज के बात से इतेफाक नहीं रखता....... लड़कियों का मन हो तो वो कुछ भी पहने ये उसका अधिकार हैं....इस कारण कोई लड़का उसे छेड़े ये जुर्म हैं.... जहाँ आज जमाना मर्द और औरत को कंधा में कंधा मिलाने का नसीहत देता हैं वहाँ एलिस का यह लाइन युक्तिसंगत नहीं लगता.... 2001 मैं मैंने भी NIFT Delhi का Entrance pass किया था.... उस समय 1100 और स्टूडेंट ने वहाँ परीक्षा दिया था मगर एक भी लड़की नहीं थी वहाँ.... आज एलिस वहाँ हैं.. ये भी Positive सोच का नतीजा हैं......
    अभी हमें कहीं इल्जाम लगाने की जरुरत नहीं अभी जरुरत हैं निदान की..... सोच बदलने की......
    जिस देश में दो सौ रुपये के एक रुपा थर्मॉकॉट बेचने के लिए नेहा,स्नेहा जैसी कुल छह लड़कियों को स्वाहा करने की जरुरत पड़ जाती हो. 60-70 की चड्डी पहनते ही दर्जनों लड़कियां चूमने दौड़ पड़ती हो, सौ-सवा रुपये की डियो के लिए मर्दों के मनबहलाव के लिए आसमान से उतरने लग जाती हो. कंडोम के पैकेट हाथ में आते ही वो अपने को दुनिया की सबसे सुरक्षित और खुशनसीब लड़की/स्त्री समझने लग जाती हो..वहां आप कहते हैं कि हम मीडिया के जरिए आजादी लेकर रहेंगे. आप पलटकर कभी मीडिया से पूछ सकते हैं कि क्या उसने कभी किसी पीआर और प्रोमोशनल कंपनियों से पलटकर सवाल किया कि बिना लड़की को बददिमाग और देह दिखाए तुम मर्दों की चड्डी,डियो,थर्मॉकॉट नहीं बेच सकते ? हॉट का मतलब सिर्फ सेक्सी क्यों है,ड्यूरेबल का मतलब ज्यादा देकर टिकने(फ्लो नहीं होने देनेवाला) क्यों है और ये देश स्त्री-पुरुष-बच्चे बुजुर्ग की दुनिया न होकर सिर्फ फोर प्ले प्रीमिसेज क्यों है ? तुम अपना अर्थशास्त्र तो बदलो,देखो समाज भी तेजी से बदलने शुरु होंगे.......

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  2. Sandeep.. I am totally agree with you.. Its depressing to hear this from Alice.. Are ladies fully covered with cloths not raped? The cloths are not at all the solution... Its the fear of severe punishment which is the solution.. and Media is totally irresponsible in these kind of situation. They are only here for their TRP and to save the government...

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  3. i will not say that i am not agree with ALICE... but yes the dressing style is not responsible for all that... we should change our mentality ..

    zishan ansari..


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  4. i will not say that i am not agree with ALICE... but yes the dressing style is not responsible for all that crime. mainly we have to change our mentality .

    sandeep ji and akb i think ALICE is not totally right bt she is not wrong as well...

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