
समाजसेवी
शौकत अली जब दोपहर बाद प्रतिमास्थल पर पहुंचे तो धूल-धूसरित प्रतिमा पर माल्यार्पण
करने कोई बड़ा या छोटा नेता अथवा प्रशासन का कोई आदमी नहीं पहुंचा था. हाँ वहां पास
रहने वाले महादलित महिला-पुरुष-बच्चे जरूर प्रतिमास्थल पर जमा थे और राह तक रहे थे
कि शायद प्रशासन के अधिकारी या फिर बड़े नेता आज यहाँ पहुंचेंगे. खैर..शौकत अली ने
जहाँ बापू की प्रतिमा को साफ़-सुथरा कर अगरबत्ती जलाकर उसपर माल्यार्पण किया वहीं
महादलितों ने राष्ट्रपिता का सम्मान देखकर खुशी से तालियाँ बजाईं. तुरंत में बाजे
का भी इंतजाम कर लिया गया और एक महादलित युवक ने कई राष्ट्रगीत भी गाए.
यह
पूछने पर कि क्या आपको यहाँ प्रशासन या फिर किसी बड़े नेता की ओर से भेजा गया है,
पर बोलते हुए समाजसेवी शौकत अली फफककर रो पड़े. रोते हुए उन्होंने कहा कि अपने ही
देश में बापू की ऐसी दुर्दशा होगी ऐसा किसी ने सोचा नहीं था. वे एक समाजसेवी और
राष्ट्रभक्त की हैसियत से यहाँ आये हैं. उन्होंने कहा कि प्रशासन से वे कई बार
विनती कर चुके हैं कि राष्ट्रपिता की इस प्रतिमास्थल का ध्यान रखा जाय पर आज कई
अधिकारियों ने उनका फोन तक नहीं उठाया. आखिर वे इन महादलितों जो मेहतर का काम करते
हैं के साथ बापू की शहादत दिवस पर बापू के आदर्शों पर चलने का संकल्प ले रहे हैं.
(आर. एन. यादव की रिपोर्ट)
पुण्यतिथि पर मधेपुरा में बापू की उपेक्षा: समाजसेवी ने किया माल्यार्पण
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 31, 2013
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