प्रकृति का कहर: मक्के की फसल जल गई ठंढ से

 कुसहा त्रासदी का भूत जिले के पीडितों को अब भी नहीं छोड़ रहा है. इस बार ठंढ ने जिले के मक्का किसानों पर ढा दिया है कहर. जिले में भयानक ठंढ ने जिले के लह-लहाते सैकडों एकड़ खेत में लगे मक्का की फसल को अपने चपेट में लिया जिससे मधेपुरा के किसानों में हाहाकार मच गया है.  मधेपुरा के बाढ प्रभावित क्षेत्रों में सबसे अधिक हुआ है ठंढ का असर. किसान खेत पर बैठ कर आंसू बहा रहे हैं. 60 साल के बाद पहली बार इस तरह का दिखा ठंढ का कहर. अब परेशान किसान आत्म हत्या तक करने की बात कर रहे हैं. मालूम हो कि मधेपुरा के किसान कुसहा त्रासदी 2008 के बाद से प्रकृति के आक्रोश का किसी न किसी तरह लगातार शिकार हो रहे हैं.
अभी उनके खेत में मक्के की सूखे फसल नहीं लह-लहाते दिख रहे हैं बल्कि ये जले फसल वो हैं जिसे ठंढ ने जला डाला है. मधेपुरा जिले में सबसे अधिक मक्का की फसल ही प्रभावित हुई है. जिले के कई किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने पंजाब से पैसे कमा कर अपने खेतों में लगाया था या फिर महाजन से सूद पर कर्ज लेकर. और आज सबके सब ठंढ की भेंट चढ गए हैं. अब ये क्या खुद खाएं और क्या बच्चों को खिलाए, विकट समस्या है.
कृषि पदाधिकारी जांच में जुट गये हैं और उच्चाधिकारी को क्षति का रिर्पोट भेजने की बात कह रहे हैं. अब देखना है कि सरकार इन पीडित किसानों मुआवजा देती है या यूं ही कोरे आश्वासन देकर ठग लेती है. पर एक बात की आशंका अब तो बनती ही है कि इलाके के किसान यदि इसी तरह प्रकृति के कोप का शिकार होते रहे तो यहाँ भी किसानों के आत्महत्या की खबर सुनने को मिल सकती है.
(आर.एन.यादव की रिपोर्ट)
प्रकृति का कहर: मक्के की फसल जल गई ठंढ से प्रकृति का कहर: मक्के की फसल जल गई ठंढ से Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 16, 2013 Rating: 5

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