वि० सं०/10/12/2012
मधेपुरा में पुलिस का काला चेहरा अब स्याह होता जा
रहा है. लगता है पुरैनी पुलिस अब खुल कर पुलिसिया भ्रष्ट चेहरा दिखाने में लग गयी
है. बीडीओ की गाड़ी से हुई मौत पर विरोध करने वालों पर तो पुलिस की गाज गिरी ही अब
मृतक के परिजनों के उस आवेदन को भी पुरैनी पुलिस ने रद्दी की टोकरी में फेंकने का
मन बना लिया है जिसमें चौसा बीडीओ संजय कुमार पर सीधा आरोप लगाया है. मालूम हो कि
दुर्घटना स्थल पर मौजूद कई प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि चौसा बीडीओ दुर्घटना
के वक्त अपनी गाड़ी में मौजूद थे वहीं कुछ लोगों का तो यहां तक दावा था कि घटना के
वक्त चौसा बीडीओ स्वयं ही गाड़ी चला रहे थे. पुलिस ने एफआईआर के फर्दबयान को खुद
लिखा था और एक घायल से उसपर हस्ताक्षर करवा लिया था. 
            सूत्र
बताते हैं कि बाद में विभिन्न दवाब को देखते हुए पुरैनी पुलिस ने मृतक के परिजन से
एक आवेदन लेकर शुद्धिपत्र भी तैयार किया जिसमें बीडीओ और गाड़ी पर सवार दो शिक्षकों
को भी अभियुक्त बनाने का अनुरोध न्यायलय से किया गया था. इस बाबत एक दैनिक
समाचारपत्र में खबर भी छपी थी. परन्तु फिर पुलिस को कमजोर जनता के सामने झुकना
गंवारा नहीं हुआ और आज तक पुलिस ने उस शुद्धिपत्र को न्यायालय नहीं भेजा. जबकि वाहन दुर्घटना के अन्य मामलों में वाहन मालिक को भी अभियुक्त बनाया जाता है और उसे भी जमानत लेनी पड़ती है. खबर यह भी है कि पिछले शुक्रवार को पुलिस ने शुद्धिपत्र शाम में न्यायालय भी भेजा था जो देर हो जाने के कारण न्यायालय को प्राप्त नहीं कराया जा सका था और फिर दो दिनों तक न्यायालय बंद रहने के दौरान इसे फिर दबा देने पर विचार किया गया.
            सूत्रों
का यह भी मानना है कि चौसा बीडीओ को बचाने के लिए मधेपुरा प्रशासन के कई भ्रष्ट
अधिकारी एकजुट हो गए हैं और पुरैनी पुलिस बड़े अधिकारियों की शह पर शुद्धिपत्र को
दबा दी है.
बीडीओ को बचाने के लिए पुरैनी पुलिस ने शुद्धिपत्र को दबाया ?
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