कुमार अंगद/07/12/2012
करोड़ों रूपये के रोकड़ बही योग घोटाला वर्षों से अपनी
जांच की राह देख रही है जबकि मामले के उद्भेदन के उपरान्त वर्ष 2009 में ही जांच
हेतु निगरानी विभाग के प्रधान सचिव के सन्दर्भ/समक्ष में लाया जा चूका है. इस क्रम
में निगरानी में दर्ज डायरी संख्यां-839 दिनांक 17/05/2009 के आधार पर कोई ठोस
कार्यवाही अबतक नहीं दीख रहा है.
मालूम
हो कि भारत सरकार के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के लेखा परीक्षा प्रतिवेदन (सिविल),
बिहार सरकार वर्ष 2004-05 में प्रतिवेदित तथ्यों में यह स्पष्ट रेखांकित किया गया
है कि जल संसाधन विभाग, राजस्व प्रमंडल, पूर्णियां के अंतर्गत आंतरिक नियंत्रण
प्रणाली में कमी तथा प्रावधानों के विरूद्ध उप समाहर्ता, राजस्व प्रमंडल,
पूर्णियां के द्वारा रोकड़ शेष के प्रतिदिन भौतिक सत्यापन तथा रोकड़ योग की जांच में
विफलता के कारण 70 लाख 11 हजार रूपये के सरकारी धन का गबन हुआ है. उल्लेखनीय है कि
उक्त लेखा परीक्षा प्रतिवेदन कई वर्ष पूर्व ही बिहार सरकार के सभी विभागीय
मंत्रियों एवं सचिव के साथ-साथ तत्काल ही लोक लेखा समिति को भी कार्यवाही हेतु
उपलब्ध कराया जा चुका है परन्तु सरकार के स्तर पर कार्यवाही की लीपापोती के लक्षण
दिखाई देते हैं. सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के मुताबिक निगरानी विभाग
में दर्ज डायरी संख्यां 839 दिनांक 17/05/2009 के क्रम में निगरानी विभाग के
तत्कालीन अवर सचिव चन्द्र प्रकाश सहाय ने पत्रांक-परि० जल संसाधन- 36/2009-3140
अनु० दिनांक 07 जुलाई 2009 के द्वारा प्रधान सचिव जल संसाधन विभाग, बिहार से एक
स्पष्ट प्रतिवेदन मामले के सन्दर्भ में एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध करने का नौरोध
किया है. परन्तु अबतक अन्य कोई खास कार्यवाही जांच की दिशा में नहीं की गयी है.
निगरानी को है निगरानी की जरूरत (भाग-2)
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 07, 2012
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maie bhi heaia ka chhatra hu mere lia
ReplyDeleteyha ka intian bhut hee gruri haI YHA KA INTIAN SHUT HEE KATHAIN HAI