बिहार में कोशी बराज से जुड़े नहर एवं बांध अभियंताओं
के लिए कामधेनु है. जहाँ कोशी की उफनाती धाराओं पर काबू पाने के लिए हजारों करोड़ राशी
का वारा-न्यारा कागजों पर ही कर लिए जातें हैं क्योंकि अधिकांश कार्यों की वास्तविकता
कोशी की तेज धार के नाम पर छुप जाती है. परन्तु इन सबसे इतर बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग के कोशी
नहर प्रमंडल, दरभंगा तथा झंझारपुर के तत्कालीन कार्यपालक अभियंताओं द्वारा संवेदकों को सामग्री
के दुलाई के लिए 01 करोड़ 33 लाख रूपये का फर्जी भुगतान मामले को सरकार के स्तर पर कार्रवाई
के बाजार में लीपा पोती कर दी गयी है.
उल्लेखनीय है
कि भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के लेखा परीक्षा प्रतिवेदन (सिविल) बिहार सरकार, वर्ष 2004-05
में प्रतिवेदित तथ्यों में यह स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है की 4 करोड़ 53 लाख
की लागत पर मई 2003 तथा अक्टूबर 2004 के मध्य कार्यपालक अभियंता पश्चिमी कोशी नहर प्रमंडल, दरभंगा
तथा झंझारपुर द्वारा दो संवेदकों से चार कार्यों का इकरारनामा किया गया था. करार के
मुताबिक सामग्रियों की दुलाई यथा झामा, पत्थर तथा गिट्टी जमालपुर
खदान से कर्पुरीग्राम रेलवे यार्ड ता रेल से तथा कर्पूरीग्राम रेलवे स्टेशन से कार्यस्थल
तक ट्रक से किया जाना था, जैसा कि
संवेदकों द्वारा नहीं किया गया और संवेदकों को कार्यपालक अभियंताओं द्वारा बिना विपत्र
के प्राप्ति के ही सामग्री दुलाई मद का 01 करोड़ 33 लाख रुपये का फर्जी भुगतान किया
गया. गौरतलब है कि जहाँ कार्य में प्रयुक्त होने वाले सामग्रियों की दुलाई ही संदेहास्पद
है वहीं 4 करोड़ 53 लाख की लगत पर कार्य का किया जाना भी सदेहास्पद है. ऐसी स्थिति में
यह साफ तौर पर प्रतीत होता है की ढुलाई मद के अलावे भी शेष बची राशि यानी सम्पूर्ण
राशि का वारा-न्यारा तत्कालीन कार्यपालक अभियंता ने अपने सहयोगियों की मदद से कर लिया
हैं. मामले को सरकार के समक्ष महालेखाकार के स्तर पर वर्षों पूर्व प्रतिवेदित किया
जा चुका है, कार्रवाई
नदारद है. इसके अलावे सरकार के निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को भी मामले की जाँच हेतु
वर्ष 2009 में (मई 2009) ही प्रस्तुत किया जा चुका है. जाँच एवं कार्रवाई प्रतीक्षित
है.
01 करोड़ 33 लाख का गबन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 27, 2012
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