अधिकार यात्रा के दौरान जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
को जगह जगह विरोध का सामना करना पड़ा तो उसके बाद प्रशासन ने आगे किसी उपद्रव को
रोकने के लिए ऐसी हरकतें करनी शुरू कर दीं कि कई जगह प्रशासन के कदम मजाक बनकर रह
गए. सुपौल की सभा में मुख्यमंत्री को 29 सितम्बर को भाग लेना था. पर इससे पूर्व ही
जरूरत से ज्यादा चौकस प्रशासन ने कई ऐसे भी काम कर डाले जिससे लोगों के बीच उसकी
फजीहत होकर रह गयी.
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किशन (सभी फोटो:प्रवीण गोविन्द ) |
सुपौल
में करीब नौ सौ लोगों से शान्ति बहाल रखने के लिए धारा 107 दंड प्रक्रिया संहिता
के तहत बॉण्ड भरवाए गए जिनमें कुछ ऐसे भी हैं जिनके बारे में जानकार कोई भी हैरान
हो सकता है. वहाँ जिन लोगों को 107 की नोटिस की गयी उनमें 13-14 साल के बच्चे भी
शामिल हैं. किशन कुमार, मनीष रजक के साथ कुछ और ऐसे बच्चे हैं जिनपर तोड़फोड़ और
उपद्रव की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने न सिर्फ नोटिस ही किया बल्कि बॉण्ड
भी भरवा डाले. ये बच्चे खुद हैरान हैं कि जिस उम्र में इनकी मूछें भी नहीं निकली
प्रशासन के लिए ये खतरा कैसे बन गए ? बल मन आहत है कि किशोरावस्था में ही इन्हें अपराधियों की तरह देखा जाने लगा.
जिला
प्रशासन के इस कदम की लोग जम कर आलोचना कर रहे हैं और कई लोगों का कहना है कि ऐसा
इससे पहले बिहार में शायद ही कभी हुआ था जैसा नीतीश कुमार के सुशासन में हुआ है.
क्या सुपौल के ये बच्चे थे मुख्यमंत्री के लिए खतरा ???
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 04, 2012
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