सदर अस्पताल मधेपुरा का पोषण पुनर्वास केन्द्र इन दिनों जिले के कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है.मालूम हो कि बाढ़ के बाद से जिले में कुपोषण की दर में भारी इजाफा हुआ है.हाल में ही देश ने ये माना था कि कुपोषण एक राष्ट्रीय शर्म है.फिर जब आंकड़े सामने आये तो बिहार के मधेपुरा जिले का नाम भी कुपोषण में सामने आया.ऐसे में सदर अस्पताल मधेपुरा का पोषण पुनर्वास केन्द्र यहाँ कुपोषण को कम करने में मील का पत्थर साबित हो रहा है.एनजीओ के माध्यम से चलाये जाने वाले इस केन्द्र में आंगनबाड़ी केन्द्र से कुपोषित बच्चे चुन कर भेजे जाते हैं.सदर अस्पताल मधेपुरा के सिविल सर्जन परशुराम प्रसाद ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यहाँ 21 कुपोषित बच्चों को 21 दिन रखा जाता है जिसे अस्पताल के चिकित्सक की निगरानी में दवा तथा पौष्टिक आहार दिया जाता है.कुपोषण के शिकार हुए बच्चों की माओं को भी यहाँ खाना समेत बच्चों को पोषित करने कि ट्रेनिंग दी जाती है.यही नहीं इन्हें सीखने के बदले 70/-रू० मानदेय भी दिया जाता है.सदर अस्पताल के उपाधीक्षक जी.पी.तम्बाखूवाला कहते हैं कि 2008 कि कुसहा त्रासदी के बाद इलाके के बच्चे कुपोषण का शिकार ज्यादा होने लगे.पर ये केन्द्र उनकी समस्या को दूर करने में अहम भूमिका निभा रहा है.उन्होंने बताया कि इन बच्चों को दवा भी अस्पताल प्रशासन के द्वारा ही दी जाती है.
सरकार का ये प्रयास कुपोषण मिटाने में निश्चित ही कारगर साबित हो रहा है,पर आवश्यकता है ऐसे पोषण पुनर्वास केन्द्रों की प्रखंड स्तर पर शुरुआत करने की ताकि ज्यादा से ज्यादा कुपोषित बच्चों को इसका लाभ मिल सके.
कुपोषण मिटाने की दिशा में एक सराहनीय कदम
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 22, 2012
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