रूद्र ना० यादव/१२ मार्च २०१२
जिले में जल स्वच्छता अभियान कार्यक्रम के तहत स्कूलों में लगाए गए वाटर फ़िल्टर सरकार की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है.इस योजना के तहत जिले में कुल ६५० वैसे स्कूलों में वाटर फ़िल्टर युक्त चापाकल लगाए जाने की योजना थी,जहाँ के पानी में आयरन की मात्रा अधिक है.पर अभी तक ५४२ स्कूलों में ये लगाये जा चुके हैं जिनकी सफलता संदिग्ध हो चुकी है.कई जगहों पर या तो इसका फ़िल्टर टूट चूका है या फिर इसमें इतनी गंदगी भर चुकी है कि इसमें से अशुद्ध पानी ही निकल रहा है. पर लोक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ये मानने को तैयार नहीं हैं कि इस योजना का जिले में बंटाधार हो चुका है.विभाग के कार्यपालक अभियंता कहते हैं कि ये वाटर फ़िल्टर पानी से आयरन निकालने में पूरी तरह सक्षम है और ये योजना सफल है.
पर इस योजना की सफलता की हकीकत कुछ और ही है.अधिकाँश लोगों का मानना है कि इस पानी को पीकर बच्चे बीमार भी पड़ रहे हैं.एक तो इसकी बनावट भी ऐसी है कि इस भारी चापाकल से पानी की मात्रा भी अल्प ही निकलती है.ग्रामीणों का मानना है कि इससे बेहतर पहले का ही चापाकल था जिसमें से लगातार पानी निकलने से पानी शुद्ध भी हो चला था और ये चलाने में भी हल्का हुआ करता था जिससे बच्चों के कोमल हाथों पर असर भी कम पड़ता था.
पानी के नाम पर जहर पी रहे हैं बच्चे !
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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March 12, 2012
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All credits go to dear contractors..why do we always need government to do everything..where everybody doesn't understand their responsibility...SAD
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