ऐसा माना जाता है कि कन्या की अंगुली में अंगूठी पहनने का रिवाज 'गन्धर्व विवाह' से प्रारंभ हुआ,यानि चोरी-छुपे विवाह में लड़की की अंगुली में अंगूठी डाल देने का उद्द्येश्य शायद ये रहा होगा कि समाज ये समझ ले कि इसकी शादी हो चुकी है और फिर से उसका विवाह न कराया जाय.

पारंपरिक रूप से अंगूठी सोने के बने होते थे,चूंकि सोना अन्य धातुओं की तुलना में महंगा होता था,पर आज 'हीरे की अंगूठी' 'हीरा है सदा के लिए' कह कर ज्यादा लोकप्रिय हो रही है.
एक समय यह माना जाता था कि विवाह के अवसर पर अंगूठी पहनाने का अर्थ एक पवित्र रिश्ते की शुरुआत करना है और वर अपनी पत्नी को आजीवन प्यार देने और उसकी देखभाल करने के लिए कृतसंकल्प है,पर आज इसे सिर्फ दो लोगों के मिलन का प्रतीक माना जाता है.पूर्व में औरतें अंगूठी अपने बाएं हाथ की चौथी अंगुली 'अनामिका' में ही पहना करती थी.
वैसे अगर एक लोकप्रिय मान्यता पर विश्वास करें और इसके वैज्ञानिक पहलू पर गौर करें तो बाएं हाथ की चौथी अंगुली के नस और तंत्रिका का सम्बन्ध ह्रदय से होता है और इसमें पहनी गई अंगूठी ह्रदय को सही ढंग से काम करने में मदद पहुंचाती है.
अंगूठी का पारंपरिक जो भी महत्व हो पर ये बात बहुत हद तक सही है कि अंगूठी एक ऐसा प्रतीक है जिसके विषय में माना जाता है कि यह सम्बन्ध को मजबूत साथ ही अंतहीन प्यार को बनाये रखता है.
--साक्षी, मधेपुरा
दिल से जुड़ा है अंगूठी का मामला: वर्ल्ड मैरिज डे पर विशेष
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 08, 2012
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good artical. I hope you write too good.
ReplyDeleteशब्दों पर अदभुत पकड़...चेहरे से झलकता आत्मविश्वास...उम्दा लेखनी के लिए साक्षी जी को बधाई.मधेपुरा टाइम्स को भी शुक्रिया.
ReplyDeleteBahut hi sundar...I like it.
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