जीडीपी के ग्रोथ को लेकर इतना हल्ला मचाने की कोई जरूरत नहीं। इसे लेकर सुशासन की ढोल बजाने जैसी कोई स्थिति नहीं बनती। ध्यान देने की बात है कि जिन आंकड़ों का हवाला दिया जा रहा है, उसी के अनुसार सभी पिछड़े राज्यों में जीडीपी का ग्रोथ रेट बढ़ा है। यहां तक कि झारखंड जैसे राजनीतिक रूप से अस्थिर और कुशासित राज्य में भी यह ग्रोथ रेट बढ़ा है। सवाल उठता है कि अगर बिहार में सुशासन और मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व के कारण ग्रोथ रेट बढ़ गया तो आखिर झारखंड का ग्रोथ रेट कैसे बढ़ा। ...मीडिया बकवास कम करे और सही जानकारी दे ..
हकीकत तो यह है कि हाल के वर्षों में प्रायः सभी राज्यों में केंद्र प्रायोजित योजनाएं बड़े पैमाने पर शुरू की गई हैं। पिछड़े राज्यों का ग्रोथ रेट बढ़ने में उसका बड़ा योगदान है। फिर इसमें लो बेस इफेक्ट का भी योगदान है। राज्य सरकार का कामकाज पहले की अपेक्षा ठीक हुआ है, उसका भी निश्चित तौर पर योगदान है, लेकिन यह सिर्फ उसी का नतीजा नहीं है। क्योंकि सरकारी कामकाज में सुधार का जितना प्रचार मीडिया में तथाकथित विशेषज्ञों के द्वारा किया जा रहा है वह हकीकत नहीं है। हकीकत का पता लगाना है तो कोई दूरदराज की बात छोड़िए, पटना मुफस्सिल अंचल कार्यालय में जाकर कोई व्यक्ति निधार्रित समय के अंदर मामूली आय प्रमाण पत्र या निवास या जाति प्रमाण बनवा लें और फिर यह बात कहे तो मैं सुशासन की बात स्वीकार करने को तैयार हूं।
अभी बिहार में जो ग्रोथ हुआ है, उसमें क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ता नजर आ रहा है। विश्व बैंक अगर कहता है कि व्यापार करने के लिए दिल्ली के बाद पटना देश का सबसे उपयुक्त जगह है तो हमें इससे गौरवान्वित नहीं होना चाहिए। हम ग्रोथ के उस पैटर्न पर चल रहे हैं जिसमें ऐसी ही स्थिति उभरेगी। पैसा पटना में संकेद्रित हो रहा है। पटना में फ्लैटों के दाम एनसीआर के बराबर हो गए हैं। पटना में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों का औसत दिल्ली के बराबर है। हवाई यात्रा करने वालों की संख्या पटना में दिल्ली के बराबर हो रही है। राज्य के अंदर ही विषमता बढ़ रही है। लेकिन उत्तर बिहार, पूर्वी बिहार बदहाल है। आधी आबादी गरीबी की सीमा रेखा के नीचे है।
और अंत में : एक सवाल और है। बिहार के ग्रोथ से अति उत्साहित मुख्यमंत्री और उनकी हमदर्द मीडिया गलतबयानी क्यों कर रहे हैं। इनके द्वारा बार-बार कहा जा रहा है कि जीडीपी का जो ग्रोथ रेट सामने आया है वह पूरी तरह प्रामाणिक है, क्योंकि इसे केंद्रीय संगठन सीएसओ ने तैयार किया है। क्या मुख्यमंत्री और मीडिया वालों को यह पता नहीं कि सीएसओ राज्यों के जीडीपी का आकंड़ा नहीं तैयार करता। राज्यों के जीडीपी का आंकड़ा संबंधित राज्य सरकार खुद तैयार करती हैं और उसे जारी करने के लिए सीएसओ को सौंप देती है। सीएसओ सभी राज्यों के इस आंकड़े को जारी भर करता है, वह इसे सत्यापित नहीं करता।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
--रंजन कुमार, पटना
हकीकत तो यह है कि हाल के वर्षों में प्रायः सभी राज्यों में केंद्र प्रायोजित योजनाएं बड़े पैमाने पर शुरू की गई हैं। पिछड़े राज्यों का ग्रोथ रेट बढ़ने में उसका बड़ा योगदान है। फिर इसमें लो बेस इफेक्ट का भी योगदान है। राज्य सरकार का कामकाज पहले की अपेक्षा ठीक हुआ है, उसका भी निश्चित तौर पर योगदान है, लेकिन यह सिर्फ उसी का नतीजा नहीं है। क्योंकि सरकारी कामकाज में सुधार का जितना प्रचार मीडिया में तथाकथित विशेषज्ञों के द्वारा किया जा रहा है वह हकीकत नहीं है। हकीकत का पता लगाना है तो कोई दूरदराज की बात छोड़िए, पटना मुफस्सिल अंचल कार्यालय में जाकर कोई व्यक्ति निधार्रित समय के अंदर मामूली आय प्रमाण पत्र या निवास या जाति प्रमाण बनवा लें और फिर यह बात कहे तो मैं सुशासन की बात स्वीकार करने को तैयार हूं।
अभी बिहार में जो ग्रोथ हुआ है, उसमें क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ता नजर आ रहा है। विश्व बैंक अगर कहता है कि व्यापार करने के लिए दिल्ली के बाद पटना देश का सबसे उपयुक्त जगह है तो हमें इससे गौरवान्वित नहीं होना चाहिए। हम ग्रोथ के उस पैटर्न पर चल रहे हैं जिसमें ऐसी ही स्थिति उभरेगी। पैसा पटना में संकेद्रित हो रहा है। पटना में फ्लैटों के दाम एनसीआर के बराबर हो गए हैं। पटना में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों का औसत दिल्ली के बराबर है। हवाई यात्रा करने वालों की संख्या पटना में दिल्ली के बराबर हो रही है। राज्य के अंदर ही विषमता बढ़ रही है। लेकिन उत्तर बिहार, पूर्वी बिहार बदहाल है। आधी आबादी गरीबी की सीमा रेखा के नीचे है।
और अंत में : एक सवाल और है। बिहार के ग्रोथ से अति उत्साहित मुख्यमंत्री और उनकी हमदर्द मीडिया गलतबयानी क्यों कर रहे हैं। इनके द्वारा बार-बार कहा जा रहा है कि जीडीपी का जो ग्रोथ रेट सामने आया है वह पूरी तरह प्रामाणिक है, क्योंकि इसे केंद्रीय संगठन सीएसओ ने तैयार किया है। क्या मुख्यमंत्री और मीडिया वालों को यह पता नहीं कि सीएसओ राज्यों के जीडीपी का आकंड़ा नहीं तैयार करता। राज्यों के जीडीपी का आंकड़ा संबंधित राज्य सरकार खुद तैयार करती हैं और उसे जारी करने के लिए सीएसओ को सौंप देती है। सीएसओ सभी राज्यों के इस आंकड़े को जारी भर करता है, वह इसे सत्यापित नहीं करता।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
--रंजन कुमार, पटना
बिहार का असली विकास मीडिया के द्वारा देख ले
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 08, 2012
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Dear Ranjan,
ReplyDeleteI do not totally agree with you. The main point is what happened to the growth rate of Bihar before this government. The growth rate was much lower than the national growth rate. There are good and bad things in a government, but looking at the prime focus of this Nitish government I am pretty sure that he is doing much better than the hypocrite Lalu. At least people are not talking about caste politics and they have started talking about development in the state. There needs to be some radical changes and major investment in education, power, infra etc but definitely we are progressing in a right direction.
Regards,
Utpal Kumar