रूद्र ना० यादव/१३ दिसंबर २०११
सरकार लाख विकास की बात कर ले,पर जिले के कुछ क्षेत्र अभी भी विकास से कोसों दूर है.आलमनगर के मुरौत के कटाव ने जब गाँव को लील लिया तो यहाँ के बहुत से परिवार को विस्थापित होकर अगल-बगल ठिकाना बनाना पड़ा.जमीन और घर हाथ से गया तो दाने-दाने के लिए मुहताज हुए और जीने के लिए रोजगार तलाशने की जरूरत आन पड़ी.खाने के इंतजाम जब मुश्किल हुए तो बच्चों की पढ़ाई कैसे हो?लाचार बच्चों ने भी दस-बीस रूपये कमा कर घर संभालना शुरू किया.
मधेपुरा टाइम्स की टीम जब आलमनगर के सोनामुखी गाँव पहुंची तो नदी में एक सात वर्ष का बच्चा नाव चला रहा था.राजकुमार की पढ़ाई अब छूट चुकी है.हाथों ने कलम की जगह पतवार थाम लिया है.२०-४० रूपये रोज कमाता है तो पिता को आर्थिक सहायता मिल जाती है.जान जोखिम में डालकर ये सात वर्ष का बच्चा दिन भर थकता है. ये अकेले राजकुमार की कहानी नहीं है.इस क्षेत्र के सैंकडों बच्चों के सामने भुखमरी की स्थिति है.
हैरत की बात तो ये हैं कि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पिछले कई बार से नरेंद्र नारायण यादव कर रहे हैं जो वर्तमान में विधि एवं योजना और विकास मंत्री हैं.पर राजकुमार जैसों के लिए इनके पास न तो कोई योजना है और न ही इनके विकास के लिए कोई कदम उठाने की इन्हें जरूरत दिखाई देती है.
राजकुमार की हिम्मत और लाचारी को देखकर मधेपुरा टाइम्स की टीम ने इसे भाड़े के अलावे कुछ आर्थिक सहायता भी प्रदान की और इसे पढ़ाई हेतु भी प्रेरित किया.संपर्क नंबर देते हुए उसे पढ़ाई करने में मदद का भी भरोसा हमने दिया.
बिहार में विकास हो रहे हैं,पर अभी भी सरकार को बहुत सारे क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है.मुख्यमंत्री की सेवा यात्रा का अर्थ तब निकलेगा जब राजकुमार जैसों की हाथ में पतवार की जगह किताब और कलम होंगे.
पढ़ने की उम्र में जान जोखिम में डालकर चलाते हैं नाव
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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December 13, 2011
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