क्या लग सकेगी निजी स्कूलों की लूट पर लगाम? (भाग-३)

राकेश सिंह/०८ अक्टूबर २०११
निजी स्कूलों पर जो सबसे बड़े आरोप लगते रहे हैं,वो है दाखिले और फीस के नाम पर मोटी कमाई करना.मधेपुरा के अभिभावक यह बात तो खुले तौर पर कहते सुने जा सकते हैं कि ये स्कूल वाले लूट रहे हैं,पर खुल कर विरोध करने से ये बचते रहे हैं.बात साफ़ है,इनके बच्चों का भविष्य भी इन्ही स्कूलों की पढाई पर टिका हुआ है,और मधेपुरा जैसे शहर में विकल्पों की भी भारी कमी है.स्कूल की व्यवस्था में खर्च के बाद भी बड़ी राशि इनकी बचत होती है.स्कूलों में फीस का यहाँ कोई मापदंड नहीं है,जिसे जो मन हुआ थोप दिया.सरकार द्वारा इन स्कूलों के निबंधन के बाद ये सम्भावना तय लगती है कि इन्हें फीस में भी एकरूपता रखनी होगी.
सरकारी आंकड़े कहते हैं कि मधेपुरा की प्रति व्यक्ति आय ३३४६ रू० है,जबकि राज्य का- ५००७ रू० और देश का १७८३३ रू० है.मधेपुरा की ५१.८% आबादी गरीबी रेखा से नीचे की जिंदगी बसर कर रही है और निम्न जीवन जीने वालों की संख्यां ८२.६% है.(मधेपुरा जिले से सम्बंधित आंकड़ों को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें).पर इन आंकड़ों से इन स्कूल वालों को कोई लेना देना नहीं है. इनकी बातों से तो यहाँ तक लगता है कि इन्हें शायद ये आंकड़े पता भी नहीं है.डाउनबास्को स्कूल की प्राचार्या चन्द्रिका यादव तो यहाँ तक कहती हैं कि मधेपुरा में कोई आर्थिक मंदी नहीं है.यहाँ फीस अच्छी होनी चाहिए.(देखें वीडियो).कमोबेश यहाँ सभी निजी स्कूल प्रशासन की सोच ऐसी ही है. इनकी बातों पर यदि भरोसा करें तो सरकारी आंकड़े प्रस्तुत कर सरकार ने मधेपुरा के लोगों के साथ मजाक किया है.शायद यही कारण है कि यहाँ के स्कूल में छात्रों से विभिन्न तरीकों से कड़ी फीस वसूल कर ली जाती है.
  बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डा० निशा झा का कहना है कि बिहार में कई ऐसे स्कूल हैं जिनका एफलियेशन नहीं है,और ये बच्चों का दाखिला ले लेते हैं.बाद में पता चलता है कि बच्चों को दाखिले के लिए दूसरे स्कूल भेजा जा रहा है.दाखिले के नाम पर मोटी कमाई करने वाले इन स्कूलों के विरोध में अभिभावकों को आगे आना चाहिए.(क्रमश:)
क्या लग सकेगी निजी स्कूलों की लूट पर लगाम? (भाग-३) क्या लग सकेगी निजी स्कूलों की लूट पर लगाम? (भाग-३) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 08, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. i think there is an immense need of revival of educational system in our town as the no. of schools are increasing day by day and the quality of education decreases in the same rate.There are schools who are not capable to teach upto 10th but have their sign boards displaying right from nur. to 10th , while parents should know that to teach upto 10th class one needs an affiliation from Central Board of Secondary Education i.e. CBSE.
    The reason is that every person running a school wants to make maximum profit from it but they just miss the most essential part of a business and that is investment.unless you dont invest in the infrastructure and quality of education of your school you cant rut it forever.

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