हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे

हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे
उठाए हाथ जब भी वो, मेरे लिए दुआ करे

अकेले बैठूं जो कभी मैं, खुद को सोचती हुई
तो आँखें मूंद के मेरी, वो पीछे से हंसा करे

मुझे बताए ग़लतियाँ भी, रास्ता दिखाए फिर
वो देखे बन के आइना, हरेक पल खुदा करे

हूँ जो खफा मनाए, करके भोली सी शरारतें
जो खिलखिला के हंस पडूँ, तो एकटक तका करे

हो पूरे ख्वाब कब, नहीं ये श्रद्धाजानती मगर
कज़ा से पहले चार दिन, खुशी के रब अता करे

 

 --श्रद्धा जैन,सिंगापुर 

हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 04, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. हो एक ऐसा शख्स जो, मोहब्बत-ओ-वफ़ा करे
    उठाए हाथ जब भी वो, मेरे खुबसूरत पंक्तिया....लिए दुआ करे...

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