राकेश सिंह/०१ अगस्त २०११
कलम के जादूगर कथा सम्राट प्रेमचंद की जयन्ती के अवसर पर कल प्रगतिशील लेखक संघ, मधेपुरा जिला कमिटी की बैठक रमेशचंद्र यादव की अध्यक्षता में उनके निवास पर संपन्न हुई.बैठक में प्रेमचद जयन्ती के अवसर पर अपना विचार रखते हुए प्रलेस के जिला सचिव महेंद्र नारायण पंकज ने कहा कि प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० ई० में एक निर्धन कायस्थ परिवार में हुआ था.हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद ने ही सबसे पहले किसान और मजदूरों को स्थान दिया और देश की आजादी के लिए चल रहे संघर्ष को लेखनी के माध्यम से गति दी.प्रो० इंद्र नारायण यादव ने कहा कि प्रेमचंद ने महाजनी सभ्यता का विरोध किया था और लेखनी से हिन्दी साहित्य को समृद्धि प्रदान की.
इस मौके पर श्रीमती आर्या दास, अधिवक्ता ने कहा कि प्रेमचंद ने दलित,शोषित तथा महिलाओं को अपने कथा साहित्य में स्थान दिया.साथ ही उन्होंने ‘सिर्फ देह ही नहीं’ कविता पाठ भी किया.सियाराम यादव मयंक, शिक्षक ने कहा कि प्रेमचंद ही एक ऐसे लेखक हुए गरीब किसानों की समस्याओं को उठाया.
अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री रमेशचंद्र यादव ने कहा कि प्रेमचंद ने ‘कर्मभूमि’ और ‘रंगभूमि’ उपन्यास में गांधीवादी दर्शन को पिरोया और देश के स्वतंत्रता आंदोलन को अपने साहित्य में स्थान दिया.उन्होंने हिन्दुस्तान के वाराणसी प्रतिनिधि सुरोजीत चटर्जी के इस रिपोर्ट पर चिंता जताई कि प्रेमचंद को उनके गाँव लमही में भी लोग नही जानते.
प्रेमचंद की लेखनी ने दी हिन्दी साहित्य को समृद्धि
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 01, 2011
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