रूद्र ना० यादव/०५ अगस्त २०११
एक तरफ जिले में जहाँ लोग अभी भी कमोबेश बाढ़ की आशंका मन में पाले हुए हैं,वहीं दूसरी ओर जिले में सुखाड़ की सम्भावना भी बनती जा रही है.और इसका कारण है इस मौसम में समुचित बारिश की कमी.बता दें कि अब धान की फसल रोपण का काम अंतिम समय में है.पर इस साल बारिश अत्यंत ही कम होने के कारण किसानों को धान की रोपनी करने में खासी दिक्कतें आ रही हैं.किसान परेशान हैं,कुछ ने तो बारिश के दौरान रोपनी का काम संपन्न कर लिया है,पर इनकी संख्यां काफी कम है.अधिकाँश किसानों को पम्प-सेट आदि की व्यवस्था कर रोपनी के
लायक खेतों को बनाना पड़ रहा है.ऐसे में किसानों के अनुसार दो बातें इन्हें घाटे में डाल सकती हैं.पहली तो कृत्रिम सिंचाई से फसल की लागत बहुत अधिक बढ़ जायेगी.दूसरी कि ऐसे फसल खेत में लहलहायेंगे ही,इसकी संभावना भी कम ही है.ऐसा हुआ तो किसान अत्यधिक घाटे में जा सकते हैं.
लायक खेतों को बनाना पड़ रहा है.ऐसे में किसानों के अनुसार दो बातें इन्हें घाटे में डाल सकती हैं.पहली तो कृत्रिम सिंचाई से फसल की लागत बहुत अधिक बढ़ जायेगी.दूसरी कि ऐसे फसल खेत में लहलहायेंगे ही,इसकी संभावना भी कम ही है.ऐसा हुआ तो किसान अत्यधिक घाटे में जा सकते हैं.
देखा जाय तो अपने इलाके में अधिकाँश किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण उन्हें कुल मिलकर प्रकृति पर ही निर्भर रहना पड़ता है,यानी दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि यहाँ खेती भगवान भरोसे ही होती है.
सुखाड़ की सम्भावना:किसान चिंतित
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 05, 2011
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